सूरदास के पद के आधार पर बताइए कि गोपियों ने अपनी दशा को किस की भांति बताएं है?
1- gur ke Bhati
2- phool ke Bhati
3-tel ke Bhati
4- chiti ke Bhati
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उत्तर:- प्रस्तुत पदों के आधार पर स्पष्ट है कि गोपियाँ योग-साधना को नीरस, व्यर्थ और अवांछित मानती हैं। गोपियों के दृष्टि में योग उस कड़वी ककड़ी के सामान है जिसे निगलना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी गोपियों के माध्यम से आगे कहते हैं कि उनके विचार में योग एक ऐसा रोग है जिसे उन्होंने न पहले कभी देखा, न कभी सुना।
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यहाँ कौसिक विश्वामित्र को कहा गया है। कौसिक को संबोधित कर परशुराम लक्ष्मण के विषय में कह रहे हैं कि यह बालक मूर्ख और कुटिल है। यह काल के वश होकर अपने कुल का नाशक बन रहा है।
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