सूरदास के पद कहां से लिए गए हैं
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रदास के पद “उधो तुम तो हो अति बड़भागी” ‘सूरदास’ के “सूरसागर” ग्रंथ के दसवें अध्याय के ‘भ्रमरगीत’ से लिये गये हैं।
“सूरसागर” ग्रंथ सूरदास द्वारा रचित महान ग्रंथ है, जिसका दसवां अध्याय जो कि बहुत विस्तृत है उसमें भ्रमरगीत उद्बोधित होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण जब ब्रज से मथुरा चले जाते है तो श्रीकृष्ण की विरह-वेदना में व्याकुल ब्रज की गोपियों के लिये वे मथुरा से उद्धवजी को अपने प्रतिनिधि के रूप में ब्रज भेजते हैं, जो गोपियों को ब्रह्माज्ञान तथा योग का मार्ग अपनाने का उपदेश देतें हैं लेकिन गोपियों को कृष्ण के प्रति प्रेम का मार्ग पसंद था और उन्हें उद्धवजी का सुझाव पसंद नही आता है। गोपियां उद्धवजी को उलाहना देने लगती हैं तभी वहाँ एक भ्रमर (भंवरा) आ जाता है, गोपियों और उद्धवजी के बीच ताने-उलाहने के जो प्रसंग हैं, वो ही ‘भ्रमर गीत’ कहलाते हैं।
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सूरदास के पद सूरदास द्वारा रचित ' सुर सागर ' से लिए गए है।
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