सूरदास के पद कविता में कहां कहां और किन किन अलंकारों का प्रयोग हुआ है छांट कर स्पष्टीकरण के साथ लिखें class 10th ch 1 kshitiz
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ऊधौ , तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं , नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर , ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि , बूँद न ताकौं लागी।
प्रीति नदी मैं पाउँ न बोरयौ , दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास’ अबला हम भोरी , गुर चाँटी ज्यौं पागी।
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