Hindi, asked by thekjazz2120, 8 months ago

सूरदास के पदों में पुरइन पात और तेल की गागर का उदाहरण किस संदर्भ में दिया गया है?​

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Answered by shishir303
20

सूरदास के पदों में पुरइन पात और तेल की गागर का उदाहरण गोपियों ने उद्धव को कृष्ण के प्रेम के संबंध में दिया है। पुरइन पात का अर्थ है कमल का पत्ता और तेल की गागर यानी तेल का बना घड़ा। निम्नलिखित पंक्तियों से भावार्थ स्पष्ट है...

उधौं , तुम हो अति बड़भागी।

अपरस रहत सनेह तगा तैं , नाहिन मन अनुरागी।

पुरइनि पात रहत जल भीतर , ता रस देह न दागी।

ज्यों जल मांह तेल की गागरी , बूँद न तांको लागी।

प्रीति – नदी में पाऊँ न बोरयो , दृष्टि न रूप परागी।

‘सूरदास’ अबला हम भोरी , गुर चांटी ज्यों पागी। ।

भावार्थ : गोपियां उद्धव से कहती हैं कि हे उद्धव! आप बड़े भाग्यशाली हो, जो आप कृष्ण के पास रहकर भी उनके प्रेम से निर्लिप्त हो अर्थात आप पर कृष्ण के प्रेम का जरा भी असर नहीं हुआ। हम इसे आपका सौभाग्य कहें या अभाग्य, पता नहीं। आप बिल्कुल कमल के पत्ते के समान हो। जिस तरह कमल का पत्ता जल में रहकर भी जल से निर्लिप्त रहता है और जल का उस पर कोई असर नहीं होता. उसी तरह आप भी कृष्ण के पास रहकर भी कृष्ण के प्रेम का आप पर कोई असर नहीं हुआ। आप पर कृष्ण के प्रेम का कोई दाग नहीं है। गोपियां उद्धव परर व्यंगात्मक सुर में तंज कसते हुए कहती हैं कि आप बिल्कुल तेल की गागर के समान हो जिस पर कृष्ण के प्रेम रूपी जल की कोई बूंद नहीं टिकती अर्थात जिस तरह तेल की गागर पर पानी की कोई बूंद नहीं टिकती उसी तरह आप पर भी कृष्ण प्रेम रूपी जल की कोई बूंद नहीं टिकती।

इस तरह गोपियों ने पुरइन पात और तेल की गागर का उदाहरण कृष्ण के प्रेम के संबंध में देकर इनकी तुलना कृष्ण के प्रेम से करके उद्धव को ताने दिये हैं।

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Answered by mjha5541
8

पूर पात्र तेल की गागर था उदाहरण गोपियों ने उद्धव को कृष्ण के प्रेम के संबंध में दिया है जिस प्रकार पूर्ण पाठ पानी में होते हुए भी पानी से अछूत व तेल के गागर को जब पानी में रख दिया जाए तब उन पर पानी का कोई असर नहीं पड़ता उसी प्रकार उधर पर भी श्री कृष्ण के प्रेम का कोई प्रभाव नहीं पड़ा

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