Hindi, asked by konkonachoudhury07, 10 months ago

सूरदास के पद में सूरदास ने किस भाषा का प्रयोग किया है? इस भाषा की प्रमुख विशेषताएं बताइए​

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Answered by katochnisha05
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Answer:

सूरसागर, ब्रजभाषा में महाकवि सूरदास द्वारा रचे गए कीर्तनों-पदों का एक सुंदर संकलन है जो शब्दार्थ की दृष्टि से उपयुक्त और आदरणीय है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें भक्ति की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग "कृष्ण की बाल-लीला' और "भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।

Answered by shishir303
1

सूरदास के पद में सूरदास ने किस भाषा का प्रयोग किया है? इस भाषा की प्रमुख विशेषताएं बताइए​।

सूरदास के पदों की भाषा ब्रज भाषा है। सूरदास के जितने भी पद लिखे गयें है, वे सभी ब्रज भाषा में लिखे गए हैं।

व्याख्या ⦂

सूरदास ब्रजभाषा के उच्च कोटि के कवि रहे हैं, जिन्होंने अपने साहित्य से ब्रजभाषा को उचित स्तर पर पहुंचाया।सूरदास के उपास्य यानि इष्ट भगवान श्रीकृष्ण थे। सूरदास सगुण विचारधारा के अनुयायी थे। इसलिये उन्होंने अपना आराध्य भगवान श्रीकृष्ण को बनाया।

सूरदास ने निर्गुण की अपेक्षा सगुण भक्ति को श्रेयस्कार इसलिए माना है, क्योंकि निर्गुण का कोई स्वरूप नहीं होता, उसका कोई आधार नहीं होता है। जिसका स्वरूप ही नहीं जानते, उसकी आराधना कैसे करें। जबकि सगुण का एक आधार होता है, एक निश्चित स्वरूपात्मक छवि सामने होती है। उसी स्वरूप को ईश्वर का स्वरूप मन में स्थापित किया जाता सकता है। उसी स्वरूप को आधार मानकर भक्ति को भी एक आधार दिया जा सकता है। इसलिए सूरदास ने निर्गुण की अपेक्षा सगुण भक्ति को श्रेयस्कर माना है।

#SPJ3

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