सूरदास किस सम्प्रदाय
मे दक्षित थे
Answers
Answer:
प्रारंभ में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। अष्टछाप कवियों में एक ।
Answer:
सूरदास को उनकी रचना सूर सागर के लिए जाना जाता है
Explanation:
सूरदास (IAST: Sr, देवनागरी: सूर) 16वीं सदी के एक अंधे हिंदू भक्ति कवि और गायक थे, जो सर्वोच्च भगवान कृष्ण की प्रशंसा में लिखे गए कार्यों के लिए जाने जाते थे।[2] वह भगवान कृष्ण के वैष्णव भक्त थे, और वे एक श्रद्धेय कवि और गायक भी थे। उनकी रचनाओं ने भगवान कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति का महिमामंडन किया और उसे कैद किया। उनकी अधिकांश कविताएँ ब्रज भाषा में लिखी गईं, जबकि कुछ मध्यकालीन हिंदी की अन्य बोलियों जैसे अवधी में भी लिखी गईं।
सूरदास के बारे में कई सिद्धांत हैं, लेकिन सबसे लोकप्रिय कहा जाता है कि वह जन्म से अंधे थे। उनके समय में, वल्लभाचार्य के नाम से एक और संत रहते थे। वल्लभाचार्य पुष्टि मार्ग संप्रदाय के संस्थापक थे, और उनके उत्तराधिकारी विट्ठलनाथ ने आठ कवियों का चयन किया था, जो संगीत के कार्यों की रचना करके भगवान कृष्ण की महिमा को और फैलाने में उनकी मदद करेंगे। इन आठ कवियों को "अस्ताचप" के रूप में जाना जाता था, और उनकी उत्कृष्ट भक्ति और काव्य प्रतिभा के कारण सूरदास को उनमें सबसे प्रमुख माना जाता है।
सूर सागर (सूर का महासागर) पुस्तक पारंपरिक रूप से सूरदास को दी जाती है। हालाँकि, पुस्तक में कई कविताएँ बाद के कवियों द्वारा सूर के नाम पर लिखी गई प्रतीत होती हैं। सुर सागर अपने वर्तमान स्वरूप में गोपियों के दृष्टिकोण से लिखे गए गोकुल और व्रज के प्यारे बच्चे के रूप में कृष्ण के वर्णन पर केंद्रित है।
सूरदास भगवान श्री कृष्ण की आराधना करते थे ।
- सूरदास जी वल्लभाचार्य जी के शिष्य थे। सूरदास जी के भक्ति पदों में वल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित कृष्ण स्वरूप की प्रतिष्ठा का वर्णन किया गया है।
- उनकी काव्य रचना में अंत: करण की प्रेरणा व अंतर की अनुभूति मुख्य रही है।
- उन्होंने संसार के प्रति विराग भाव को दर्शाया है। सूरदास जी ने संसार के सभी सुखों को मिथ्या बताया है व उनकी निंदा की है। वे कहते है कि निष्पक्ष आंखों से देखने पर ही उन्हें अपने अंदर की अच्छाइयां व बुराइयां दिखाई देती है।
- उनका मानना है कि यदि उन्होंने ईश्वर भक्ति नहीं की तो उनका इस संसार में जन्म लेना व्यर्थ है।
learn more about it
https://brainly.in/question/24126842
https://brainly.in/question/24764612