Hindi, asked by baghelvishal312, 3 months ago


सूरदास ने निर्गुण की अपेक्षा सगुण को श्रेयकर क्यों माना हैं

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Answered by shishir303
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सूरदास ने निर्गुण की अपेक्षा सगुण भक्ति को श्रेयस्कार इसलिए माना है, क्योंकि निर्गुण का कोई स्वरूप नहीं होता, उसका कोई आधार नहीं होता है। जिसका स्वरूप ही नहीं जानते, उसकी आराधना कैसे करें। जबकि सगुण का एक आधार होता है, एक निश्चित स्वरूपात्मक छवि सामने होती है। उसी स्वरूप को ईश्वर का स्वरूप मन में स्थापित किया जाता सकता है। उसी स्वरूप को आधार मानकर भक्ति को भी एक आधार दिया जा सकता है। इसलिए सूरदास ने निर्गुण की अपेक्षा सगुण भक्ति को श्रेयस्कर माना है।

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