संस्कार और भावना पाठ के आधार पर सनकांती काल की माँ के चरित्र को उजागर करते हुए जातिवाद जैसी बुराई पर अपने विचार प्रकट किजीए ।
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माँ संक्रांति काल की एक वृद्धा , भारतीय तथा हिन्दू नारी है। वह एक भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार की माँ है और अपने पुराने संस्कारों से बद्ध है। ... इसी कारण माँ अपने बड़े बेटे अविनाश के अंतर्जातीय विवाह को स्वीकार नहीं करती है। इसके कारण वह अपने बेटे से भी रिश्ता तोड़ देती है पर उसे इस बात का हमेशा दुःख रहता है।
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