संस्कार विजेता व सुलोचना
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सुलोचना' (सुलोचना = सु+लोचना अर्थात् सुंदर नेत्रों वाली। वह नागराज वासुकि की पुत्री तथा रावण पुत्र इंद्रजीत (मेघनाद) की पत्नी थी। जब मेघनाद का वध हुआ तो उसका सिर भगवान श्रीरामचंद्र के पास रह गया। सुलोचना ने रावण को शीश माँगने को कहा तो रावण नें उसे समझाया था कि राम शत्रु है। शत्रु के पास याचक बन कर जाना सम्भव नही है। और सुलोचना को जाने की आज्ञा यह कहते हुए दी कि राम मर्यादापुरुषोत्तम हैं,उनसे सुलोचना को डरने की आवश्यता नही है। तदोपरान्त सुलोचना मेघनाद के शीश को गोद मे रखकर सती हुई। सुलोचना का सीता माता के समकक्ष सतीत्व बताया गया है।
हालांकि वाल्मीकि रामायण व तुलसीदास की रामचरितमानस दोनों ही ग्रंथों में सुलोचना के सती होने का कोई उल्लेख नहीं मिलता है ।
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