Hindi, asked by vartikabhadouria, 11 months ago

संस्कृत के 5 श्लोक हिंदी अर्थ के साथ लिखिए​

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Answered by poornima2277
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1. उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।

न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा: ।।

अर्थात:- उद्यम, यानि मेहनत से ही कार्य पूरे होते हैं, सिर्फ इच्छा करने से नहीं। जैसे सोये हुए शेर के मुँह में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करता बल्कि शेर को स्वयं ही प्रयास करना पड़ता है।

2. वाणी रसवती यस्य,यस्य श्रमवती क्रिया ।

लक्ष्मी : दानवती यस्य,सफलं तस्य जीवितं ।।

अर्थात:- जिस मनुष्य की वाणी मीठी है, जिसका कार्य परिश्रम से युक्त है, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त होता है, उसका जीवन सफल है।

3. प्रदोषे दीपक : चन्द्र:,प्रभाते दीपक:रवि:।

त्रैलोक्ये दीपक:धर्म:,सुपुत्र: कुलदीपक:।।

अर्थात:- संध्या-काल मे चंद्रमा दीपक है, प्रातः काल में सूर्य दीपक है, तीनो लोकों में धर्म दीपक है और सुपुत्र कुल का दीपक है।

4. प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।

तस्मात तदैव वक्तव्यम वचने का दरिद्रता।।

अर्थात:- प्रिय वाक्य बोलने से सभी जीव संतुष्ट हो जाते हैं, अतः प्रिय वचन ही बोलने चाहिएं। ऐसे वचन बोलने में कंजूसी कैसी।

5. सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित:।

यदि देवाद फलं नास्ति,छाया केन निवार्यते।।

अर्थात:- विशाल वृक्ष की सेवा करनी चाहिए क्योंकि वो फल और छाया दोनो से युक्त होता है। यदि दुर्भाग्य से फल नहीं हैं तो छाया को भला कौन रोक सकता है।

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Answered by VatsalSingh1919
7

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