संस्कृत मुझे रेखा गणित से भी अधिक कठिन
जान पडी क्योंकि रेखा गणित में रटने की कोई
बात ना थी परन्तु संस्कृत में मेरी दृष्टि से सब रटना
था सरल होने की बात से में
ललचाया
दिन फारसी के वर्ग में जा बैठा संस्कृत शिक्षक
को इससे दुख हुआ उन्होंने बुलाया और कहा
यह तो सोचो की तुम किसके लड़के हो धर्म की
भाषा तुम नहीं पढ़ना चाहते तुमको जो कठिनाई
हो सो मुझे बताओ मैं तो समस्त विधार्थियो को
अच्छी संस्कृत पढ़ाना चाहता हूं आगे चलकर
तो उसमे रस की घूटे मिलेगी तुमको इस प्रकार
निराश ना होना चाहिए तुम फिर से मेरी कक्षा में
आकर बैठो यह सुनकर में शर्मिंदा हुआ शिक्षक
के प्रेम की में अवेहलना ना कर सका आज मेरी
आत्मा कृष्णशंकर मास्टर जी का उपकार मानती
है क्योंकि जितनी संस्कृत मैने उस समय पड़ी थी
यदि उतनी भी ना पड़ी होती तो में आज संस्कृत
शास्त्रों का आनंद ले रहा हूं वह ना ले पाता साथ
ही मुझे खेद है की में ओर अधिक संस्कृत न पढ़
सका इसका मुझे पश्चाताप है क्योंकि आगे चलकर
में समझ गया हूं कि किसी भी हिन्दू बच्चे को
संस्कृत का अच्छा अध्ययन लिए बिना ना रहना
चाहिए
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सभी की आपनी अपनी सोच होती है dude as well
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