संस्कृत में स्वर की संख्या कितनी होती है ? *
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संस्कृत वर्णमाला में 13 स्वर, 33 व्यंजन और 4 आयोगवाह ऐसे कुल मिलाकर के 50 वर्ण हैं । स्वर को 'अच्' और ब्यंजन को 'हल्' कहते हैं ।
संस्कृत में स्वर की संख्या 13 होती है।
व्याख्या :
वर्ण- भाषा की सबसे छोटी इकाई 'वर्ण' या अक्षर कहलाती है। वर्ण तीन प्रकार के होते हैं- स्वर, व्यञ्जन, अयोगवाह ।
स्वर :
- जिन भाषा अक्षरों को बालने में किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं होती, जिनका उच्चारण पूर्ण स्वतंत्र रूप से होता है, स्वर कहते हैं।
- ये अपने आप में पूर्ण होते हैं।
- संस्कृत भाषा की वर्णमाला में 13 स्वर माने जाते है।, जैसे- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लृ, ए, ऐ, ओ, औ।
स्वरों के प्रकार:
(i) ह्रस्व स्वर
(ii) दीर्घस्वर
(iii) प्लुत स्वर
(i) ह्रस्व स्वर-
जिन्हें बोलने में कम शक्ति और कम समय लगता हो, उन्हें ह्रस्व कहते हैं ये एक मात्रा वाले स्वर होते हैं, जैसे- अ, इ, उ, ऋ, लृ,
(ii) दीर्घ स्वर -
जिन्हें बोलने में ह्रस्व स्वर की अपेक्षा ज्यादा शक्ति और ज्यादा समय लगता हो, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। ये द्विमात्रिक स्वर होते हैं क्योंकि ये दो मात्रा वाले स्वर होते हैं। जैसे- आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
(iii) प्लुत स्वर -
जिन्हें बोलने में ह्रस्व और दीर्घ स्वरों की अपेक्षा अधिक समय लगता हो, प्लुत स्वर कहते हैं, ये त्रिमात्रिक स्वर होते हैं क्योंकि इनमें ३ का अंक लगाया जाता है। जैसे - ओ३म, रा३म
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