संस्कृत मे वर्ण शब्दस्य परिभाषा लिखत् |
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अधुनातन।
आवेग – तेज़ी, स्फूर्ति, जोश, त्वरा, तीव्र, फुरती, चपलता।
आलोचना – समीक्षा, टीका, टिप्पणी, नुक्ताचीनी, समालोचना।
आरम्भ – श्रीगणेश, शुरुआत, सूत्रपात, प्रारम्भ, उपक्रम।
आवश्यक – अनिवार्य, अपरिहार्य, ज़रूरी, बाध्यकारी।
आदि – पहला, प्रथम, आरम्भिक, आदिमा
आपत्ति – विपदा, मुसीबत, आपदा, विपत्ति।
आकाश – नभ, अम्बर, अन्तरिक्ष, आसमान, व्योम, गगन, दिव, द्यौ, पुष्कर, शून्य।
आचरण – चाल–चलन, चरित्र, व्यवहार, आदत, बर्ताव, सदाचार, शिष्टाचार।
आडम्बर – पाखण्ड, ढकोसला, ढोंग, प्रपंच, दिखावा।
आँख – अक्षि, नैन, नेत्र, लोचन, दृग, चक्षु, ईक्षण, विलोचन, प्रेक्षण, दृष्टि।
आँगन – प्रांगण, बगड़, बाखर, अजिर, अँगना, सहन।
आम – रसाल, आम्र, फलराज, पिकबन्धु, सहकार, अमृतफल, मधुरासव, अंब।
आनन्द – आमोद, प्रमोद, विनोद, उल्लास, प्रसन्नता, सुख, हर्ष, आहलाद।
आशा – उम्मीद, तवक्को, आस।
आशीर्वाद – आशीष, दुआ, शुभाशीष, शुभकामना, आशीर्वचन, मंगलकामना।
आश्चर्य – अचम्भा, अचरज, विस्मय, हैरानी, ताज्जुब।
आहार – भोजन, खुराक, खाना, भक्ष्य, भोज्य।
आस्था – विश्वास, श्रद्धा, मान, कदर, महत्त्व, आदर।
आँसू – अश्रु, नेत्रनीर, नयनजल, नेत्रवारि, नयननीर।
(इ)
इन्दिरा – लक्ष्मी, रमा, श्री, कमला।
इच्छा – लालसा, कामना, चाह, मनोरथ, ईहा, ईप्सा, आकांक्षा, अभिलाषा, मनोकामना।
इन्द्र – महेन्द्र, सुरेन्द्र, सुरेश, पुरन्दर, देवराज, मधवा, पाकरिपु, पाकशासन, पुरहूत।
इन्द्राणी – शची, इन्द्रवधू, महेन्द्री, इन्द्रा, पौलोमी, शतावरी, पुलोमजा।
इनकार – अस्वीकृति, निषेध, मनाही, प्रत्याख्यान।
इच्छुक – अभिलाषी, लालायित, उत्कण्ठित, आतुर
इशारा – संकेत, इंगित, निर्देश।
इन्द्रधनुष – सुरचाप, इन्द्रधनु, शक्रचाप, सप्तवर्णधनु।
इन्द्रपुरी – देवलोक, अमरावती, इन्द्रलोक, देवेन्द्रपुरी, सुरपुर।
(ई)
ईख – गन्ना, ऊख, रसडंड, रसाल, पेंड़ी, रसद।
ईमानदार – सच्चा, निष्कपट, सत्यनिष्ठ, सत्यपरायण।
ईश्वर – परमात्मा, परमेश्वर, ईश, ओम, ब्रह्म, अलख, अनादि, अज, अगोचर, जगदीश।
ईर्ष्या – मत्सर, डाह, जलन, कुढ़न, द्वेष, स्पर्धा।
पर्यायवाची शब्द
जो शब्द अर्थ की दृष्टि से समान होते हैँ, वे पर्यायवाची शब्द कहलाते हैँ। हिन्दी भाषा मेँ प्रयुक्त होने वाले सभी शब्द अपना स्वतंत्र अर्थ रखते हैँ तथा कोई भी शब्द पूरी तरह से दूसरे शब्द का पर्याय नहीँ होता, फिर भी कुछ समानताओँ के आधार पर इन्हेँ पर्यायवाची मान लिया जाता है। परन्तु स्मरणीय बात यह है कि अर्थ मेँ समानता होते हुए भी पर्यायवाची शब्द प्रयोग मेँ सर्वथा एक–दूसरे का स्थान नहीँ ले सकते। जैसे– मृतात्माओँ के तर्पण