संस्कृतेन अनुवादं कुरुत। (1) क्या तुम्हारा वचन सत्य है। (2) उसके पास पांच सहस्र रुपए हैं। (3) आप क्या चाहते हैं, निसंकोच कहें। (4) आप शान्त हो जाएँ। (5) नमस्कार, आप किसलिए आए हैं? (6) यह बालक सब बालकों में सबसे अधिक बुद्धिमान है
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सत्य की क्या महिमा है?
एक दिन राजा सत्यदेव अपने महल के दरवाजे पर बैठे थे तभी एक स्त्री उनके घर से, उनके सामने से गुजरी। राजा ने पूछा, "देवी! आप कौन हैं और इस समय कहाँ जा रही हैं?” उसने उत्तर दिया, "मैं लक्ष्मी हूँ और यहाँ से जा रही हूँ।" राजा ने कहा, "ठीक है, शौक से जाइए।"
कुछ देर बाद एक अन्य नारी उसी रास्ते से जाती दिखाई दीं। राजा ने उससे भी पूछा, "देवी! आप कौन हैं?" उसने उत्तर दिया, "मैं कीर्ति हूँ और यहाँ से जा रही हूँ।" राजा ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, "जैसी आपकी इच्छा।"
थोड़ी देर में एक पुरुष भी उनके सामने से होकर जाने लगा।राजा ने उस से भी प्रश्न पूछा “आप कौन है?”
पुरुष ने उत्तर दिया “मैं सत्य हूँ”। मैं भी अब यहाँ से जा रहा हूँ।राजा ने तुरंत ही उसके पैर पकड़ लिए और प्रार्थना करने लगा कृपया आप तो ना जायें।राजा सत्य देव के प्रार्थना करने पर सत्य मान गया और न जाने का आश्वासन दिया।
कुछ देर के बाद राजा सत्यदेव ने देखा कि लक्ष्मी एवं कीर्ति दोनों ही वापस लौट रही हैं। राजा सत्यदेव ने पूछा, "आप कैसे लौट आईं?” दोनों देवियों ने कहा, "हम उस स्थल से दूर नहीं जा सकतीं, जहाँ पर सत्य रहता है।"
Explanation:
1. व्यंजनों की संरचना- इसके अंतर्गत हमें यह पता होना चाहिए कि हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन है। साथ ही स्पर्श व्यंजन, अंतस्थ व्यंजन और संयुक्त व्यंजन की संख्याओं के बारे में भी पता होना चाहिए।