संस्कृत वाक्यांश अतिथि देवो भव जिसका अर्थ है अतिथि भगवान है किस उपनिषद से लिया गया है
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Answer:
तैत्तिरीयोपनिषद्
Explanation:
मंत्र, तैत्तिरीय उपनिषद, शिक्षावली I.11.2 से हैं।
हिंदू धर्म में भगवान की पांच चरणों वाली पूजा की जाती है, इसे पंचोपचार पूजा के रूप में जाना जाता है।
'अतिथि देवो भवः' एक सामाजिक जागरूकता अभियान है जिसका उद्देश्य देश में स्वागत करने की अधिक समझ के साथ अंतर्गामी पर्यटक प्रदान करना है।
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GIVEN:- संस्कृत वाक्यांश अतिथि देवो भव जिसका अर्थ है अतिथि भगवान है किस उपनिषद से लिया गया है?
ANSWER:- संस्कृत वाक्यांश 'अतिथि देवो भव' जिसका अर्थ है 'अतिथि भगवान है', यह वाक्यांश 'तैत्तिरीयोपनिषद' से लिया गया है। यह वाक्यांश तैत्तिरीय उपनिषद के शिक्षावली के 11वें अनुवाद की दूसरे स्रोत में लिखा है, वह इस प्रकार है-देवपितृकार्याभ्यां न प्रमादितव्यं। मातृदेवो भव। पितृ देवो भव। आचार्य देवो भव। अतिथिदेवो भावा।
कुल उपनिषदों की संख्या 108 है।
प्रमुख उपनिषदों के नाम है-ईश, केन, कठ , छांदोग्य, मुण्डक।