सौस मुकुट , कटि काछनी , कर मुरली उर माल , इहि मानिक मो मन सदा , बसों बिहारी लाल ।। का आशय स्पष्ट करें । please give answer
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you can do this in the relationship to a different level or what I am abhi I think is there to you that you can also do that and then go to a different
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बिहारी और अन्य रीतिकालीन कवियों ने भक्ति की कवितायें लिखी हैं किन्तु वे भक्ति से कम काव्य की चातुरी से अधिक प्रेरित हैं। किसी रीतिकालीन कवि ने लिखा हैः आगे के सुकवि रीझिहैं चतुराई देखि, राधिका कन्हाई सुमिरन को तो इक बहानो है। बिहारी का एक दोहा हैः
मोर मुकुट कटि काछनी कर मुरली उर माल।
यहि बानिक मो मन बसौ सदा बिहारीलाल।।
(काछनी = धोती की काँछ, यहि बानिक = इसी तरह)
ayushkumar725:
ok thanks
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