सीस मुकुट कटि काछनि, कर मुरली उर माल। यों बानक मौं मन सदा. बसौ बिहारी लाल।। -बिहारी
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सीस मुकुट कटि काछनि, कर मुरली उर माल। यों बानक मौं मन सदा. बसौ बिहारी लाल।।
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