संस्मरण के आधार पर बेगड़ जी के सहयात्रियों संक्षिप्त निबंध लिखिए
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नर्मदा नदी पर लिखे गए उनके यात्रा वृत्तांत हिंदी के सर्वश्रेष्ठ साहित्य में है. उन्होंने नर्मदा नदी के किनारे-किनारे पूरे चार हजार किलोमीटर की यात्रा पैदल कर डाली. ... और हर बार मेरा उत्तर होता, अगर मैं यात्रा न करता, तो मेरा जीवन व्यर्थ जाता.
संस्मरण के आधार पर बेगड़ जी के सहयात्रियों संक्षिप्त निबंध निम्नलिखित है।
- बेगड़ जी रवीन्द्रनाथ टैगोर का अनुसरण करते थे, उन्हें नर्मदा नदी से उन्हें बहुत लगाव था।
उन्होंने नर्मदा की यात्रा पैदल की व अपनी यात्रा के पूरे वृतांत को उन्होंने तीन पुस्तकों में वर्गीकरण किया है।
-पहली पुस्तक का नाम है " सौंदर्य की नदी" , यह पुस्तक 1992 में अाई थी। उन्होंने अपनी पहली नर्मदा यात्रा सन 1977 में शुरू की उस समय वे 50 वर्ष के थे।
अंतिम नर्मदा यात्रा 1987 में की जब वे 82 वर्ष के थे।
- उन्होंने ग्यारह वर्षों में दस यात्राएं की जिनका वर्णन उन्होंने पुस्तकों में किया है।
- इन पुस्तकों में उन्होंने केवल नर्मदा की जल धारा की बात नहीं की अपितु उस धारा में बहते हुए जीव, उस धारा से जीवन पाते हुए प्राणी , वनस्पति, पेड़ पौधे व प्रकृति का भी वर्णन किया है।
- इन पुस्तकों के माध्यम से उन्होंने यह बताया है कि यह जल धारा केवल एक नदी नहीं है , एक जल संसाधन नहीं है परन्तु यह मनुष्य के जीवन का आधार है जो उसे जन्म से मृत्यु तक साथ देता है।
- नर्मदा की रेत को भी उन्होंने उतना ही महत्वपूर्ण बताया जितनी उसकी जल धारा है, उसमे बहती मछलियां भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितने मवेशी।
- वे पुस्तक के अध्याय 13 में लिखते है," कितने ही ऋषि मुनियों व साधु संतो ने नर्मदा के तट पर वर्षों तक तपस्या की होगी व तट के छोटे छोटे घास और कण उनकी चारण धूलि से पवित्र हुए होंगे। उन ऋषियों ने यहां पर धर्म पर विचार किया होगा, जीवन के मूल्यों की खोज की होगी। इस प्रकार उन्होंने भारतीय संस्कृति को कायम किया।अब हम उसी नर्मदा के तट पर स्थित उन वनों को काट रहे है कैसा घोर अपराध कर रहे है हम।"