Hindi, asked by lkusum7119, 11 hours ago

संस्मरण के विधागत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालते हुए पठित संस्मरण की विशेषता बताइए ​

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Answered by skdruv760
6

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संस्मरण- अर्थ और स्वरूप- व्युत्पत्ति की दृष्टि से संस्मरण शब्द ’स्मृ’ धातु में सम् उपसर्ग एवं ल्युट् प्रत्यय लगने से बना है। इस प्रकार संस्मरण का शाब्दिक अर्थ है सम्यक् स्मरण। सम्यक् का अर्थ है पूर्णरूपेण। इस प्रकार संस्मरण का शाब्दिक अर्थ है किसी व्यक्ति, घटना, दृश्य, वस्तु आदि का आत्मीयता और गम्भीरतापूर्वक रचे गये इतिवृत्त अथवा वर्णन ही संस्मरण कहलाते है।

संस्मरण क्या है

लेखक अपने निजी अनुभवों को कभी किसी व्यक्ति के माध्यम से व्यक्त करता है तो कभी घटना, वस्तु या क्रियाकलाप के माध्यम से। ये घटनाएँ एवं क्रिया-व्यापार कभी किसी महान व्यक्ति के साथ जुङे होते हैं या कभी किसी सामान्य व्यक्ति के साथ।

ये घटनाएँ चाहे जिसके साथ क्यों न जुङी हों, किन्तु लेखक सदैव उनके माध्यम से ऐसे मानव गुणों को तलाशता रहता है जो मनुष्य को जङ एवं यांत्रिक बनने से रोकते हैं, जो हमारे जीवन के सामने एक अनुकरणीय एवं महनीय आदर्श प्रस्तुत करते है।

संस्मरण एक अत्यन्त लचीली साहित्य-विधा है। इसके अनेक गुण साहित्य की अन्य अनेक विधाओं में भी रचे-बसे है। इसका एक स्वाभाविक परिणाम यह हुआ कि इसे तथा रेखाचित्र, जीवनी, रिपोर्ताज आदि अन्य साहित्य रूपों को प्रायः एक ही समझा जाता रहा है। हिन्दी साहित्य का इतिहास में संस्मरण और रेखाचित्र को प्रायः एक-दूसरे के साथ जोङकर देखने की प्रवृत्ति रही है।

Answered by anyasingh5010
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संस्मरण के विधागत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालते हुए पठित संस्मरण की विशेषता बताइए

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