Hindi, asked by Diyajoon, 1 month ago

सौ सुनार की एक लुहार की
मुँह में राम बगल में छुरी
मन चंगा तो कटौती में गंगा
नाच न जाने आँगन टेढा
थोथा चना बाजे घना

please answer these​

Answers

Answered by devrana1344
1

Answer:

विश्व की सभी भाषाओं में लोकोक्तियों का प्रचलन है। प्रत्येक समाज में प्रचलित लोकोक्तियाँ अलिखित कानून के रूप में मानी गई हैं। मनुष्य अपनी बात को और अधिक प्रभावपूर्ण बनाने के लिए इनका प्रयोग करता है।लोकोक्ति शब्द लोक+उक्ति के योग से निर्मित हुआ है। लोक में पीढि़यों से प्रचलित इन उक्तियों में अनुभव का सार एवं व्यावहारिक नीति का निचोड़ होता है। अनेक लोकोक्तियों के निर्माण में किसी घटना विशेष का विशेष योगदान होता है और उसी कोटि की स्थिति परिस्थिति के समय उस लोकोक्ति का प्रयोग स्थिति या अवस्था के स्पष्टीकरण हेतु किया जाता है, जो उस सम्प्रदाय या समाज को सहर्ष स्वीकार्य होता है। मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश होता है जिसके प्रयोग से अभिव्यक्ति-कौशल में अभिवृद्धि होती है। प्रायः मुहावरे के अंत में क्रिया का सामान्य रूप प्रयुक्त होता है। जैसे - i. नाकों चने चबाना , ii. दाँतों तले अंगुली दबाना।

Answered by aashutosh123a
1

Answer:

I don't know yarr and I am really sorry

Explanation:

विश्व की सभी भाषाओं में लोकोक्तियों का प्रचलन है। प्रत्येक समाज में प्रचलित लोकोक्तियाँ अलिखित कानून के रूप में मानी गई हैं। मनुष्य अपनी बात को और अधिक प्रभावपूर्ण बनाने के लिए इनका प्रयोग करता है।लोकोक्ति शब्द लोक+उक्ति के योग से निर्मित हुआ है। लोक में पीढि़यों से प्रचलित इन उक्तियों में अनुभव का सार एवं व्यावहारिक नीति का निचोड़ होता है। अनेक लोकोक्तियों के निर्माण में किसी घटना विशेष का विशेष योगदान होता है और उसी कोटि की स्थिति परिस्थिति के समय उस लोकोक्ति का प्रयोग स्थिति या अवस्था के स्पष्टीकरण हेतु किया जाता है, जो उस सम्प्रदाय या समाज को सहर्ष स्वीकार्य होता है। मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश होता है जिसके प्रयोग से अभिव्यक्ति-कौशल में अभिवृद्धि होती है। प्रायः मुहावरे के अंत में क्रिया का सामान्य रूप प्रयुक्त होता है। जैसे - i. नाकों चने चबाना , ii. दाँतों तले अंगुली दबाना।

अंतर: लोकोक्ति का अपर नाम ‘कहावत’ भी है। लोकोक्ति जहाँ अपने आप में पूर्ण होती है और प्रायः प्रयोग में एक वाक्य के रूप में ही प्रयुक्त होती है, जबकि मुहावरा वाक्यांश मात्र होता है। लोकोक्ति का रूप प्रायः एक सा ही रहता है, जब कि मुहावरे के स्वरूप में लिंग, वचन एवं काल के अनुसार परिवर्तन अपेक्षित होता है।

मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ

मुहावरे व लोकोक्तियाँ

मुहावरे व लोकोक्तियाँ

मुहावरे

मुहावरे हमारी तीव्र हृदयानुभूति को अभिव्यक्त करने में सहायक होते हैं। इनका जन्म आम लोगों के बीच होता है। लोक-जीवन में प्रयुक्त भाषा में इनका उपयोग बड़े ही सहज रूप में होता है। इनके प्रयोग से भाषा को प्रभावशाली, मनमोहक तथा प्रवाहमयी बनाने में सहायता मिलती है। सदियों से इनका प्रयोग होता आया है और आज इनके अस्तित्व को भाषा से अलग नहीं किया जा सकता। यह कहना निश्चित रूप से गलत नहीं होगा कि मुहावरों के बिना भाषा अप्राकृतिक तथा निर्जीव जान पड़ती है। इनका प्रयोग आज हमारी भाषा अौर विचारों की अभिव्यक्ति का एक अभिन्न तथा महत्वपूर्ण अंग बन गया है। यही नहीं इन्होेंने हमारी भाषा को गहराई दी है तथा उसमें सरलता तथा सरसता भी उत्पन्न की है। यह मात्र सुशिक्षित या विद्वान लोगों की ही धरोहर नहीं है, इसका प्रयोग अशिक्षित तथा अनपढ़ लोगों ने भी किया है। इस प्रकार ये वैज्ञानिक युग की देन नहीं है। इनका प्रयोग तो उस समय से होने लगा, जिस समय मनुष्य ने अपने भावों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया था।

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