सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हंसें, हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में स्पस्टीकरण
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bhole nath ji
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सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हंसें, हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में। कौन सा रस है?
रस का भेद : वात्सल्य रस
व्याख्या :
मातृत्व भाव एवं वात्सल्यलता से ओतप्रोत इन पंक्तियों का भाव ही वात्सल्य रस से भरा हुआ है। इसलिए यह पंक्तियां वात्सल्य रस को प्रकट करती हैं।
वात्सल्य रस का स्थाई भाव वात्सल्यता यानि ममत्व भरा अनुराग होता है। जब किसी अपने से छोटे के प्रति प्रेम प्रकट होता है तो वात्सल्य भरा प्रेम होता है। जैसे माता-पिता का अपनी संतान के प्रति प्रेम, बड़े भाई-बहन का छोटे भाई-बहन के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्य के प्रति प्रेम आदि।
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