संसार को कब और कौन ढक लेता है
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अर्द्ध का घना अंधेरा संसार को ढक लेता है जब आधी रात को गहरा अंधकार सारे संसार को ढक लेता है। और आकाश की छत पर तारे बिखेर देता है। अर्थात आकाश में तारे चमकने लगते है।
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संसार को अर्ध रात्रि के समय घना अंधेरा ढक लेता है।
- पथिक कविता में कवि राम नरेश त्रिपाठी जी स्वयं को पथिक कह रहे है।
- कवि कह रहे है काली घनी रात में चारो ओर अंधेरा छाया रहता है। वे कहते है कि आकाश अथवा अंतरिक्ष कि छत झिलमिल करते सितारों से जगमगा रही है।
- यह दृश्य बड़ा ही सुन्दर दिखता है तथा इस दृश्य को जग के मालिक सूर्य मुस्कुराते हुए देख रहे है।
- सूर्य धीमे धीमे आता है व आकाश गंगा की निहारता है व उसकी सुन्दरता देखकर मधुर गीत गाता है इसका अर्थ है कि रात का समय धीरे धीरे बीतता है व सूर्योदय का समय नजदीक आ रहा है।
- यह दृश्य बड़ा मनोरम व देखने लायक होता है।
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