संसार में
कुछ भी असाध्य या असंभव नहीं है। असंभव और असाध्य जैसे शब्द कायरों के लिए
हैं। नेपोलियन के लिए ये शब्द उसके शब्दकोश में नहीं थे। क्या बापू शरीर से शक्तिशाली थे?
नहीं। वे तो पतली सी एक लंगोटी पहने लकड़ी के सहारे चलते थे। परंतु उनके विचार सशक्त थे,
भावनाएँ शक्तिशाली थीं। उनके साहस को देखकर करोड़ों भारतीय उनके पीछे थे। ब्रिटिश
साम्राज्य उनसे काँप गया। अहिंसा के सहारे उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराया। यह विश्व का एक
अद्वितीय उदाहरण है। जब गाँधी जी ने अहिंसा का नारा लगाया तो लोग हँसते थे। कहते थे
अहिंसा से कहीं ब्रिटिश साम्राज्य से टक्कर ली जा सकती है। परंतु उन्होंने साहस नहीं छोड़ा, अंत
में अहिंसा की विजय हुई।
1) नेपोलियन के शब्दकोश में कौन से शब्द नहीं थे?
2) गाँधी जी के पास कौन-सी शक्ति थी?
3) गाँधी जी ने भारत को कैसे आजाद कराया?
4) 'भारतीय' शब्द में प्रत्यय पहचानिए।
5) जिसके समान दूसरा न हो - अनेक शब्दों के लिए एक शब्द गद्यांश में से ढूँढकर लिखिए।
Answers
Answer:
1) संसार में कुछ भी असाध्य नहीं है। कुछ भी असंभव नहीं है। असमय, असाध्य आदि शब्द कायरी
निपोलियन के लिए ये शब्द उसके कोष में नहीं थे। साहस के पतले बापू ने विश्व को चकित कर दिया। क्या या
स्तशाली थे। नहीं। वे सो पातले से एक लंगोटी पहने लकड़ी के सहारे चलते थे। परंतु उनके विचार सशक्त है।
तशाली थीं। उनके साहस को देखकर करोड़ों भारतीय उनके पीछे थे। ब्रिटिश सामान्य उनसे कॉप गया। अहिंसा के पार
पात के उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराया। यह विश्व का अद्वितीय उदाहरण है। जब गाँधी जी ने अहिंसा का सारा सामान
हसते थे, कहते थे अहिंसा से कहीं ब्रिटिश सामान्य से टक्कर ली जा सकती है। परंतु वे रटे रहे, साहस नहीं हो
सा की ही विजय हुई। कहते हैं, अकेला चना क्या पाड़ फोड़ सकता है? हाँ, फोड़ सकता है, यदि उसमें साध्य हो|
प्रल-1. संसार में कुछ भी असंभव तथा असाध्य नहीं है, क्योंकि-
(क) परिश्रम से सब कार्य किए जा सकते है।
(ख) शक्तिशाली मनुष्य के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
(4) मन में अच्छी भावना मनुष्य को सफल बनाती है।
2. बापू की सबसे बड़ी विशेषता थी-
(ग) ये अहिंसा के मार्ग पर चलते थे, यही उनका बलया।
(4) उनके विचार सशक्त तया भावनाएँ शक्तिशाली थीं।
3.गांधी जी ब्रिटिश सामान्य से जिस जल को लेकर लड़े, वह था-
-- अहिंसा
4. अकेला घना पाड़ फोड़ सकता है।-किस गुण के सहारे?
(क) परिश्रम के
(घ) अभ्यास के
३. इस गयांश का उचित शीर्षक है-
मनिष्ट मंच
की उपयोगिता शीतलता और निर्मनना है।
Answer:
1) asambhav
hope it help