संसार मे मनुष्य मे कितने तरह के गुण मिलते है ?
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Answer:
गीता के अनुसार हर इंसान में होते हैं ये 3 गुण.
Explanation:
गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि इस सृष्टि के रचना मूल रूप से तीन गुणों से हुई है। ये तीन गुण सत्व, राजस और तमस हैं। हालांकि आधुनिक विज्ञान आज भी इससे अनजान है। परंतु धार्मिक मान्यता है कि ये तीनों गुण सजीव, निर्जीव, स्थूल और सूक्ष्म वस्तुओं में रहते हैं। श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन को यह बताते हैं कि “यह मूल प्रकृति ही संसार की समस्त वस्तुओं को उत्पन्न करने वाली है और “मैं ही ब्रह्म (आत्मा) रूप में चेतन रूपी बीज को स्थापित करता हूं।”
इस जड़-चेतन के संयोग से ही सभी चर-अचर प्राणियों की उत्पत्ति होती है। साथ ही समस्त योनियों में जो भी शरीरधारी प्राणी उत्पन्न होते हैं, उन सभी को धरण करने वाली आत्मा रूपी बीज को स्थापित करने वाला पिता हूं।” सात्विक, राजसिक और तामसिक यह तीनों गुण भौतिक प्रकृति से उत्पन्न होते हैं। प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुणों के कारण ही अविनाशी आत्मा शरीर से बंध जाती है। पुरुष प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुणों को भोगता है और इन गुणों का साथ ही इस जीवात्मा को अच्छी-बुरी योनियों में जन्म लेने का कारण बनता है।
इन तीनों गुणों में सत्व गुण अन्य गुणों की तुलना में अधिक शुद्ध होने के कारण पाप कर्मों से जीव को मुक्त करके आत्मा को प्रकाशित करने वाला होता है, जिससे मनुष्य सुख और ज्ञान के अहंकार में बंध जाता है। वहीं सात्विक गुण से वास्तविक ज्ञान उत्पन्न होता है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि सात्विक गुण मनुष्य को सुख में बांधता है। फिर जब कोई मनुष्य सतोगुणी होने पर मृत्यु को प्राप्त होता है तब वह उत्तम कर्म करने वाला स्वर्ग लोक को जाता है। साथ ही रजोगुण को कामनाओं और आशक्ति से उत्पन्न हुआ जान, जिसके कारण जीवात्मा कर्मों के फल की आसक्ति में बंध जाता है।