संसार में सबसे मूल्यावान वस्तु समय है क्योंकि दुनिया की अधिकांश वस्तुओं को घटाया - बढ़ाया जा सकता है, पर समय का एक क्षण भी बढ़ा पाना व्यक्ति के बस में नहीं है। समय के बीत जाने पर व्यक्ति के पास पछतावे के अलावा कुछ नहीं होता। विद्यार्थी के लिए तो समय का और भी अधिक महत्त्व है। विद्यार्थी जीवन का उद्देश्य है शिक्षा प्राप्त करना। समय के उपयोग से ही शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। जो विद्यार्थी अपना बहुमूल्य समय खेलकूद, मौज मस्ती तथा आलस्य में खो देते हैं वे जीवन भर पछताते रहते हैं क्योंकि वे अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं और जीवन में उन्नति नहीं कर पाते। मनुष्य का कर्तव्य है कि जो क्षण बीत गए हैं, उनकी चिंता करने के बजाय जो अब हमारे सामने हैं, उसका सदुपयोग करें। 1गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए | 2 समय को सबसे अमूल्य वस्तु क्यों कहा गया है ? 3 संमय के संबंध में व्यक्ति का क्या कर्तव्य बताया
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প্রাচীন মগধে (বর্তমান বিহার ও বাংলা) বেশ কয়েকটি বৌদ্ধ বিহার গড়ে ওঠে। তিব্বতীয় সূত্রানুসারে পাল সাম্রাজ্যের সময় ভারতের পাঁচটি মহাবিহার হলো: বিক্রমশিলা (বিশ্বের প্রথম বিশ্ববিদ্যালয়), নালন্দা (বিশ্বের প্রথম আবাসিক বিশ্ববিদ্যালয়), সোমপুর, ওদন্তপুরী ও জগদ্দল।[১] এই পাঁচটি বিশ্ববিদ্যালয় একত্রে একটি নেটওয়ার্ক হিসেবে কাজ করত। প্রতিটি বিশ্ববিদ্যালয় সরাসরি পাল রাজাদের তত্ত্বাবধানে থাকায় এগুলোর মধ্যে সমন্বয় ছিল। পাল সাম্রাজ্যের সময়ে পূর্ব ভারতের এই বিহারগুলো মূলত পরস্পর সম্পর্কিত প্রতিষ্ঠান ছিল। বিহারগুলোর আচার্যরা নিজেদের মধ্যে যোগাযোগ রাখতেন এবং বিখ্যাত পণ্ডিতেরা পদবীর ভিত্তিতে বিশ্ববিদ্যালয়গুলোতে স্থানান্তরিত হতেন।[২]
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संसार में सबसे मूल्यावान वस्तु समय है क्योंकि दुनिया की अधिकांश वस्तुओं को घटाया-बढ़ाया जा सकता है, पर समय का एक क्षण भी बढ़ा पाना व्यक्ति के बस में नहीं है। ... विद्यार्थी के लिए तो समय का और भी अधिक महत्त्व है। विद्यार्थी जीवन का उद्देश्य है शिक्षा प्राप्त करना। समय के उपयोग से ही शिक्षा प्राप्त की जा सकती है।18-Jun-2021