Hindi, asked by princemaddhesiya95, 1 month ago

संसार मे शाति व्यवस्था और सद्भावना के प्रसार के लिए बुद्ध, ईसा मसीह मुहम्मद चैतन्य नानक आदि महापुरुषों ने धर्म के माध्यम से मनुष्य को परम कल्याण के पथ का निर्देश किया, किंतु बाद में यही धर्म मनुष्य के हाथ में एक अस्त्र बन गया | धर्म के नाम पर पृथ्वी पर जितना रक्तपात हुआ उतना और किसी कारण से नहीं । पर धीरे-धीरे मनुष्य अपनी शुभ बुद्धि से धर्म के कारण होने वाले अनर्थ को समझने लग गया है। भौगोलिक सीमा और धार्मिक विश्वासजनित भेदभाव अब धरती से मिटते जा रहे हैं । विज्ञान की प्रगति तथा संचार के साधनों में वृद्धि के कारण देशों की दूरियाँ कम हो गई हैं। इसके कारण मानव मानव में घृणा, ईष्या वैमनस्य कटुता में कमी नहीं आई। मानवीय मूल्यों के महत्व के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने का एकमात्र साधन है शिक्षा का व्यापक प्रसार

निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दिजिए :--

(क) मनुष्य अधर्म के कारण होने वाले अनर्थ को कैसे समझने लगा है

(ख) विज्ञान की प्रगति और संचार के साधनों की वृद्धि का परिणाम क्या हुआ है?

(ग) देश में आज भी कौन-सी समस्या है?

(घ) किस कारण से देश में मानव के बीच, घृणा, ईष्या, वैमन स्यता एवं कटुता में कमी नहीं आई है

(ड़) मानवीय मूल्यों के महत्व के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने का एकमात्र साधन क्या है?​

Answers

Answered by SmokyPsycho
1

Answer:

देश में आज भी कौन-सी समस्या है *

  • 1-नफ़रत की
  • 2-वर्ण-भेद की
  • 3-सांप्रदायिकता की
  • 4-अमीरी-गरीबी की
Answered by SandySanjeet
0

संसार में शांति, व्यवस्था और सद्भावना के प्रसार के लिए बुद्ध, ईसा मसीह, मुहम्मद चैतन्य, नानक आदि महापुरुषों ने धर्म के माध्यम से मनुष्य को परम कल्याण के पथ का निर्देश किया, किंतु बाद में यही धर्म मनुष्य के हाथ में एक अस्त्र बन गया। धर्म के नाम पर पृथ्वी पर जितना रक्तपात हुआ उतना और किसी कारण से नहीं।

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