Hindi, asked by anilranjani4, 8 months ago

संसार सागर के अनाम नायक multiple choice questions class 8 lesson 3

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Answered by sunithabalajib
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संसार सागर पार करने धर्म रूपी नौका आवश्यक: आर्जव सागर

4 वर्ष पहले

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दिगंबर जैन धर्मशाला में हुए मंगल प्रवचन

भास्कर संवाददाता| दमोह

प्रत्येक मानव को मोक्ष मार्ग पर सच्ची श्रृद्धा होनी चाहिए। सम्यक दर्शन, ज्ञान चरित्र को धर्म कहा गया है। संसार सागर से पार करने के लिए धर्म की नौका आवश्यक है आत्मा को परमात्मा बनने के लिए अनुकूल संयोगों की जरूरत होती है। जिस तरह खदान में पेड़ सोने को शुद्ध रूप प्राप्त करने के लिए अग्नि में तपाना पड़ता है। द्रव्य, क्षेत्र भाव के द्वारा ही मुक्ति की प्राप्ति होती हैं। यह विचार दिगंबर जैन धर्मशाला में आयोजित मंगल प्रवचन में आचार्य आर्जव सागर महाराज ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि दूध को तपा कर ही नवनीत और उसके पश्चात शुद्ध घृत प्राप्त होता है। आत्मा की शुद्ध अवस्था को पाने के लिए पुरूषार्थ करना पड़ता हैं। ऐसे महान आत्मा जिन्होंने हमारा उपकार किया हैं उन्हें तीर्थंकर कहते हैं। जो तीर्थ का प्रवर्तन करते हैं। भगवान की वाणी को सामान्य व्यक्ति नहीं समझ सकते उसे कोई विशेष प्रज्ञा वाले महान व्यक्ति ही भगवान की वाणी को समझ कर जन सामान्य के लिए उपलब्ध कराते हैं। मोक्ष प्राप्ति के लिए सम्यकदर्शन रूपी शिविर की आवश्यकता होती हैं। आगामी साढ़े अठारह हजार वर्षों तक धर्म की सुलभता रहेगी। जब राजा जैन मुनियों से आहार का टैक्स मांगेगा तभी धर्म का लोप हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस दिन पिंड का हरण हो जाएगा, धर्म का अंत हो जाएगा छठवां काल प्रारंभ हो जाएगा। धर्म रूपी रथ के दो पहिए हैंं श्रावक और मुनि जहां साधु संत और श्रावक रहेगें तो धर्म रूपी रथ के दोनों पहिए चलेंगे। धर्म का महोत्सव पंच कल्याणक होता है, जिसमें जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। इसके पूर्व मंगलाचरण शोभा इटोरया ने किया। बड़े बाबा एवं छोटे बाबा आचार्य विद्यासागर महाराज के समक्ष ज्ञान ज्योति का प्रज्जवलन पंचकल्याण महोत्सव समिति ने किया।

संबोधित करते मुनिश्री।

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