Psychology, asked by Heeresh5580, 10 months ago

संस्था की किन्हीं दो सह व्यवस्थाओं की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।

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Answered by rithvik301
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Explanation:

ऊपर ‘दल-बदल’ के कारण खोजने की प्रक्रिया में हमने वस्तुत: एक ही मुख्य कारण असंतोष और उसके विविध रूपों की चर्चा की है। अब इस असंतोष के स्तर पर भी विचार कर लेना चाहिए। स्तर की दृष्टि से असंतोष के दो ही मुख्य रूप हो सकते हैं। एक वास्तविक यानी सच्चा असंतोष और ूदसरा अवास्तविक यानी झूठा एंव निहित स्वार्थों से प्रेरित असंतोष। चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य, डॉ. राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण आदि भी व्यवस्था ओर सत्तारूढ़ दल को त्यागकर नए दलों का गठन करने वाले व्यक्ति थे। परंतु इन्हें ‘दल-बदलू’ कोई नहीं कहता। कारण स्पष्ट है। वह यह कि इन सभी का असंतोष सच्चा यानी नीतिगत और सिद्धांत पर आधारित था। आज भी भारतीय राजनीति के इतिहास में इन लोगों का नाम पूरे सम्मान कि साथ लिया जाता है। असंतोष का दूसरा रूप है अवास्तविक यानी झूठा और निहित स्वार्थों से प्रेरित स्वरूप। 1989-90 में जो कुछ भी भारतीय राजनीति में घटित हुआ है, वह घटिया प्रकार के असंतोष और घटिया श्रेणी के असंतुष्टों  के दल-बदल का एक निकृष्टतम उदाहरण है। सो कुल मिलाकर   हम जो यहां कहना चाहते हैं, वह यह है कि भारतीय राजनीति का वह स्वर्ण युग अतीत की कहानी बन चुका है कि जब असंतोष के कारण राष् ट्रीय या जन-जीवन संबंधी मुद्दे हुआ करते थे। अब तो निहित स्वार्थों वाले असंतोष का युग है, जिसके भिन्न और विविध रूपों, क्रिया-प्रक्रियाओं का उल्लेख हम ऊपर कर आए हैं। सो कहा जा सकता है कि अपने स्वार्थों की पूर्ति को ही सामने रखने के कारण भारतीय राजनीति का खेल खेलने वाला हर राजनीतिज्ञ आज असंतुष्ट है और इस कारण ‘दल-बदलू’ मानसिकता का शिकार हर क्षण बना रहता है और हो सकता है। च्यारहवीं लोक सभा चुनावों की चर्चा जब से चलनी शुरू हुई है, तब से वर्तमान सभी दलों से कितने नेता दल-बदल चुके हैं और अनवरत कर रहे हैं, यह बताने की आवश्यकता नहीं।

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