संसाधनों की कमी को दूर करने के उपाय
Answers
Answer:
ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में मानव प्रकृति के अधिक समीप था। लेकिन औद्योगीकरण की प्रक्रिया आरम्भ होने के बाद स्थिति में कई तरह के बदलाव आए। नए स्थापित बड़े एवं भारी उद्योगों की स्थापना के साथ ही प्रकृति को तहस-नहस करने की एक अन्धी दौड़ शुरू हुई। उद्योगों के लिये कच्चे माल की जरूरत को पूरा करने के लिये प्रकृति के गर्भ में सदियों से सुरक्षित धातुओं और खनिज पदार्थों की खुदाई का विवेकहीन सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक जारी है। इस प्रक्रिया के कारण धरती के ऊपर से वनों का सफाया कर दिया गया और कच्चे माल को लाने और ले जाने के लिये दूर-दूर तक सड़कें बिछा दी गईं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप उद्योग-धंधों ने उपयोगी पदार्थों का उत्पादन तो अवश्य किया लेकिन साथ ही काफी मात्रा में ऐसे अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन भी किया जिनके कारण जल एवं वायु जैसे प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषण रूपी महामारी का सामना करना पड़ा।
यह एक ज्ञात तथ्य है कि सभ्यता के आरम्भ से ही मानवीय उपयोग के लिये प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाता रहा है तथा आधुनिक विश्व की अर्थव्यवस्था इन्हें प्राकृतिक संसाधनों के ऊपर निर्भर है। लेकिन विकासात्मक गतिविधियों से सम्बन्धित बड़ी-बड़ी परियोजनाओं के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप वर्तमान युग में पर्यावरण-सम्बन्धी समस्यायों का स्वरूप अधिक-से-अधिक गम्भीर होता जा रहा है। विकासात्मक कार्यों और विकास सम्बन्धी सभी सहायक क्रियाकलापों के कारण प्रायः परिवेशी पर्यावरण, प्रकृति और लोगों के सांस्कृतिक जीवन पर विनाशात्मक और नाकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है। इसका कारण यह है कि सभी प्राकृतिक संसाधन यथा जल खनिज संसाधन, सागरीय सम्पदा, वन, मृदा आदि सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और इनकी उपलब्धता हमेशा नहीं रहने वाली है, अर्थात ये सभी संसाधन शाश्वत नहीं हैं।
if this helped you please mark me as a brainlist
Answer:
- पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करता है
- संसाधनों के अनावश्यक उपयोग को रोकें
- भविष्य के लिए योजना बनाने की जरूरत
Explanation:
- पृथ्वी पर लोगों को संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना होगा।
- उपलब्ध संसाधन की सहायता लेते समय सुनिश्चित करें कि हम केवल आवश्यक राशि का ही उपयोग करेंगे
- Hindi
- यदि हम वर्तमान उपलब्ध संसाधन की सहायता ले रहे हैं तो यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि भविष्य में उस संसाधन की उपलब्धता अवश्य उपलब्ध हो। हमें उनके अनुसार योजना बनाने की जरूरत है।
#SPJ2