Social Sciences, asked by rkkanchan443, 2 months ago

संसाधन नियोजन के चरणों के बारे में लिखिए।(3 marks)

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Answered by sahumeenal780
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Answer:

वर्तमान जनशक्ति की सही गणना करना - संस्था की योजनाएं तभी सफलतापूर्वक कार्य कर सकती है जब उसका आधार मजबूत हो। कार्यशील आयु वर्ग मे पायी जाने वाली जनसंख्या, जनसंख्या आंकड़ों का कार्य, तकनीक, व्यावसायिक-अभिरूचि सम्बन्धी जानकारी के आधार पर संस्था स्तर पर सही ढंग से जनशक्ति नियोजन किया जा सकता है।

भावी जनशक्ति की आवश्यकताओ का अनुमान- वर्तमान तथा भावी जनशक्ति के अनुमान सही होने पर ही नियोजन हो सकता हैं। बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार भविष्य के लिए अनुमान लगाना आवश्यक है। उद्योगों, उत्पादन क्रियाओं तथा संचार सुविधाओं में होने वाले परिवर्तनों के अतिरिक्त जनशक्ति का अभाव अथवा वृठ्ठि का सही अनुमान फर्म के विकास कार्यक्रम को अधिक प्रभावी बना सकता है।

जनशक्ति विकास की आवश्यकता का अनुुमान - जनशक्ति विकास के कारण श्रम की परिमाणात्मक आवश्यकता कम होती है। इससे श्रमिक की योग्याता, कार्य-कुशलता तथा कार्यदक्षता में वृठ्ठि होती है। विद्यमान जनशक्ति के विकास का आशय वर्तमान में होने वाले जनशक्ति अपव्यय को कम करना हैं।

मानवीय संसाधन नियोजन के स्तर

मानवीय संसाधन नियोजन के स्तरों को चार स्तरों में विभाजित किया जा सकता है-

राष्ट्रीय स्तर पर - राष्ट्रीय स्तर पर मानवीय संसाधन नियोजन सामाजिक दृष्टिकोण से किया जाता है जिसके अन्तर्गत कर्मचारियों को पर्याप्त मात्रा में रोजगार उपलब्ध करने, आर्थिक उन्नति के कार्यक्रम, शिक्षा सम्बन्धी सुविधाएं आदि दी जाती है।

क्षेत्रीय स्तर पर - क्षेत्रीय स्तर पर केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारें ग्रामीण/कृषि, औद्योगिक कर्मचारियों तथा नौकरी पेशे वालो की आवश्यकताओं की पूर्ति मानवीय संसाधन नियोजन करता है।

औद्योगिक स्तर पर - इस स्तर पर यह ध्यान रखा जाता है कि संख्या को अधिक से अधिक लाभ हो। इस स्तर पर यह प्रयास किया जाता है कि मानवीय संसाधन नियोजन का दुरूपयोग कम होता है तथा कर्मचारी वर्ग अपने कार्य मे पूरी तरह प्रशिक्षित हो तथा उद्योग की आवश्यकता की पूर्ति करने में समर्थ हो।

व्यक्तिगत इकाई के स्तर पर - इस स्तर पर मानवीय संसाधनो की विभिन्न आवश्यकताओं को विभिन्न विभागों से जोड़ दिया जाता है।

मानवीय संसाधन नियोजन के रूप

मानवीय संसाधन नियोजन के तीन रूप हो सकते है:-

अल्पकालीन नियोजन- अल्पकालीन नियोजन उन दशाओं में किया जाता है जब संस्था में किसी विधि पर प्रयोग किया जा रहा हो या नई तकनीकी के अनुसार प्रशिक्षित कर्मचारी उपलब्ध होने के समय तक की व्यवस्था करनी हो। अल्पकालीन आयोजन एक अथवा दो वर्ष की अवधि से अधिक के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

मध्यकालीन नियोजन - मध्यकालीन आयाजे न साधरणत: पर्यवेक्षकीय स्तर के पदों के लिए किया जाता है क्योंकि निम्नतम वर्ग के श्रमिकों को अधिक से अधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। पर्यवेक्षकीय तथा प्रबन्धक स्तर के पदों पर कार्य करने वाले कर्मचारी या तो सीधी भर्ती द्वारा लिये जा सकते है अथवा पदोन्नति द्वारा। मध्यकालीन जनशक्ति आयोजन के लिए विस्तृत आंकड़ो की आवश्यकता नहीं होती। ऐसा नियोजन सामान्य अनुभव के आधार पर किया जा सकता है।

दीर्घकालीन नियोजन - दीर्घकालीन मानवीय संसाधन नियोजन द्वारा संगठन को दृढ़ आधार मिल जाता है। दीर्घकालीन उद्देश्यों की पूर्ति किसी संस्था का नीति सम्बन्धी निर्णय कहा जा सकता है। दीर्घकालीन आयोजन द्वारा व्यवसाय में स्थिरता लाने तथा प्रत्येक पद के लिए योग्य व्यक्ति को प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है। अल्पकाल अथवा मध्यमकाल आयोजन में तत्कालीन परिस्थितियों का सामना करने के लिए खाली पद की अपेक्षा किसी व्यक्ति को नियोजित करने की नीति हो सकती है। किन्तु दीर्घकालीन नियोजन की दृष्टि से प्रत्येक पद पर योग्य व्यक्ति ही होना चाहिए।

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