✯"संसाधन, प्रकृति, मानव, और संस्कृति एक संयुक्त उत्पाद हैं|" इस कथन की व्यख्या करो |
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प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं जो मानव जाति के कार्यों के बिना मौजूद हैं। दूसरे शब्दों में वो प्राकृतिक पदार्थ, जो अपने अपक्षक्रित मूल प्राकृतिक रूप में मूल्यवान माने जाते हैं, उन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इन सभी मूल्यवान संसाधनों के विशेषताओं में चुम्बकीय, गुरुत्वीय, विद्युतीय गुण या बल आदि शामिल हैं। पृथ्वी में सूर्य के प्रकाश, वायुमंडल, जल, थल (सभी खनिजों सहित) के साथ साथ सारे सब्जियों, फसल और पशुओं के जीवन से प्राकृतिक रूप से प्राप्त पदार्थ आदि प्राकृतिक संसाधनों के सूची में शामिल हैं। एक प्राकृतिक संसाधन का मूल्य इस बात पर निर्भर करता है कि कितना पदार्थ उपलब्ध है और उसकी माँग कितनी है।
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संसाधन एक ऐसी प्राकृतिक और मानवीय सम्पदा है, जिसका उपयोग हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में करते हैं। दूसरे शब्दों में मानवीय-जीवन की प्रगति, विकास तथा अस्तित्व संसाधनों पर निर्भर करता है। प्रत्येक प्राकृतिक संसाधन मानव-जीवन के लिये उपयोगी है, किंतु उसका उपयोग उपयुक्त तकनीकी विकास द्वारा ही संभव है। भूमि, सूर्यातप, पवन, जल, वन एवं वन्य प्राणी मानव-जीवन की उत्पत्ति से पूर्व विद्यमान थे। इनका क्रमिक विकास तकनीकी के विकास के साथ ही हुआ। इस प्रकार मनुष्य ने अपनी आवश्यकतानुसार संसाधनों का विकास कर लिया है। स्पष्ट है कि पृथ्वी पर विद्यमान तत्वों को, जो मानव द्वारा ग्रहण किये जाने योग्य हो, संसाधन कहते हैं। जिम्मरमैन ने लिखा है कि, संसाधन का अर्थ किसी उद्देश्य की प्राप्ति करना है, यह उद्देश्य व्यक्तिगत आवश्यकताओं तथा समाजिक लक्ष्यों की स्तुति करना है।