Social Sciences, asked by devsaini51, 7 months ago

४.संसद की शक्तियों का वर्णन करें।
अथवा
भारतीय संविधान में दिए गए 'समानता के अधिकार' का वर्णन करें।​

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Answered by Anonymous
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Answer:

संविधान के तीन प्रमुख भाग हैं। भाग एक में संघ तथा उसका राज्यक्षेत्रों के विषय में टिप्पणीं की गई है तथा यह बताया गया है कि राज्य क्या हैं और उनके अधिकार क्या हैं। दूसरे भाग में नागरिकता के विषय में बताया गया है कि भारतीय नागरिक कहलाने का अधिकार किन लोगों के पास है और किन लोगों के पास नहीं है। विदेश में रहने वाले कौन लोग भारत के नागरिक के अधिकार प्राप्त कर सकते हैं और कौन नहीं कर सकते। तीसरे भाग में भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के विषय में विस्तार से बताया गया है।

इंडिया जो कि भारत है राज्यों का एक संघ है

[1] संघ राज्यों के समझौते से नहीं बना है अतः वे संघ से पृथक होने का अधिकार भी नहीं रखते, अतः संघ अविनाश्य है

[2] वे ही राज्य जो कि संघ केन्द्र से संबंध रखते है इसके भाग है न कि संघीय क्षेत्र

अनुच्छेद 3 में कहा गया है कि राज्य का नाम क्षेत्र, सीमा परिवर्तन का अधिकार संसद को है, परंतु संसद इसे संविधान में वर्णित नियमों से ही कार्यांवित करेगी। बिल तभी संसद में लाया जायेगा जब राट्रपति इस की अनुमति दें, अनुमति से पूर्व राष्ट्रपति इस को संबंधित राज्य की विधायिका के पास भेज सकता है किंतु उस के द्वारा प्रकट राय से वह बाध्य नहीं होगा न ही विधायिका अनंत काल तक इस बिल को रोक के रख सकती है। यदि इस बिल में संसद कोई संशोधन करती है तो भी इसे दुबारा विधायिका के पास नहीं भेजा जायेगा। इस बिल को संसद के दोनों सदन सामान्य बहुमत से ही पारित क देंगे आज तक पारित बिलों में सबसे महत्वपूर्ण 1956 का राज्य पुनः गठन अधिनियम था। इस प्रावधान के चलते भारत विभाज्य राज्यों का अविभाज्य संघ है।

किसी भी देश मे रहने वाले व्यक्ति नागरिक तथा विदेशी दो भागों में विभाजित किये जाते हैं। नागरिक वह है जो राजनैतिक समाज का हिस्सा है तथा संविधान तथा अन्य कानूनों में दिये सभी लाभो का लाभ उठाता है

संविधान के अंर्तगत नागरिकता के मात्र सैद्धांतिक निर्देश ही दिये गये है यथा

1 सभी नागरिको हेतु एक ही नागरिकता

2 संविधान लागू होते समय भारत के नागरिक कौन थे

इन सिद्धांतो के आधार पर ही संसद ने भारतीय नागरिक अधिनियम 1955 पारित किय है यही अधिनियम भारतीय नागरिको की स्थिति को निर्धारित करता है। इस में 1986 में फिर संशोधन किया गया था इस में संशोधन कर के ही सरकार दोहरी नागरिकता का प्रावधान कर सकती है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसके द्वारा सन 1955 का नागरिकता कानून को संशोधित करके यह व्यवस्था की गयी है कि ३१ दिसम्बर सन 2014 के पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी एवं ईसाई को भारत की नागरिकता प्रदान की जा सकेगी।

मौलिक अधिकार नागरिको के अधिकार है इनको अमेरिकी संविधान के बिल ऑफ राइट से लिया गया है। इन अधिकारॉ को मौलिका मानने का कारण ये हैं-<br 1 इनकी उपस्थिति एक व्यक्ति के लिये आवश्यक है ताकि वह अपनी शारीरिक, बौद्धिक तथा आध्यातमिक क्षमताऑ का पूर्ण विकास कर सके

इन अधिकारो के अभाव मॅ कोई भी देश जनतात्रिक नहीं हो सकता है इसी कारण ये अधिकार भारतीय सविन्धान का आधार मानॅ जाते है

नागरिक अधिकार तथा मानवाधिकार वे अधिकार जो किसी व्यक्ति के गरिमापूर्ण अस्तित्व हेतु आवश्यक है मानवाधिकार कहलाते है

परंतु वे मानवाधिकार जिन्हें संविधान प्रदान करता है नागरिक अधिकार कहलाते हैसभी नागरिक अधिकार मानवाधिकार तो है परंतु सभी मानवाधिकार नागरिक अधिकार नहीं है

नागरिक अधिकार कानून द्वारा प्रर्वत्य तथा लागू होते है

1 ये अधिकार व्यक्तियों द्वारा उपभोग्य है तथा राज्य के विरूद्ध दिये गये है न कि व्यक्ति या निजी संगठन के विरूद्ध [गतिविधि, अस्पृश्यता के अधिकार अपवाद है]

2 ये अधिकार राज्य शक्तियों पे नियंत्रण रखते है तथा राज्य को पूर्णाधिकारवादी बनने से रोकते है

3 यधपि व्यक्ति इनका प्रयोग करते है परंतु ये अबाध्य नहीं है इनके विरूद्ध युक्ति संगत निर्बधन आरोपित किए जा सकते है

4 कुछ स्थितियों राष्टृ की सुरक्षा तथा संप्रभुता, विदेशी देशों से मैत्री संबंध, पिछडे वर्गों के आर्थिक – शैक्षणिक उत्थान के

प्रयासों, अनुसूचित जनजाति के हितों की रक्षा हेतु, लोकव्यवस्था, नैतिकता, शांति निर्माण हेतु जनहित

मॅ इन अधिकारों पर नियंत्रण लगाया जा सकता है

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