संसदीय सरकार से क्या भाव है इसकी चार विशेषताएं बताएं
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Explanation:
संसदीय सरकार को उत्तरदायी सरकार भी कहते हैं, इसमें कार्यपालक शक्तियां एक मन्त्रिमण्डल में निहित होती हैं, इसलिए मन्त्रिमण्डलात्मक सरकार भी कहा जाता है। संसदीय सरकार शासन की वह प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका (मन्त्रिमण्डल) अपने कार्यों के लिए विधायिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होती है। इसलिए इसे उत्तरदायी सरकार भी कहा जाता है। इसमें कार्यपालिका अपने पद पर उसी समय तक रह सकती है, जब तक उसे विधायिका (संसद) का बहुमत या विश्वास प्राप्त है। इस सरकार में मन्त्रिमण्डल का नेता प्रधानमन्त्री होता है और समस्त कार्यपालक शक्तियां वास्तव में उसी के हाथ में होती हैं। इसमें देश का मुखिया नाममात्र का होता है। इसमें देश का शासन नाममात्र के मुखिया के नाम पर मन्त्रीमण्डल द्वारा ही चलाया जाता है।
संसदीय शासन प्रणाली की विशेषताएं :-
संसदीय सरकार में देश का मुखिया नाममात्र का होता है। उसकी समस्त शक्तियों का प्रयोग मन्त्रिमण्डल ही करता है।
संसदीय सरकार में नाममात्र और वास्तविक दो तरह की कार्यपालिका होती हैं। प्रधानमन्त्री वास्तविक कार्यपालक होता है, जबकि राष्ट्रपति या शासनाध्यक्ष नाममात्र का। ऐसी व्यवस्था सभी संसदीय शासन-प्रणाली वाले देशों में होती है। संसदीय सरकार में नाममात्र और वास्तविक कार्यपालिका में भेद किया जाता है। संविधान द्वारा देश के प्रधान को जो शक्तियां दी जाती हैं उनका वास्तविक प्रयोग मन्त्रिमण्डल द्वारा ही किया जाता है। इस प्रकार राष्ट्रपति तो नाममात्र का मुखिया होता है, जबकि प्रधानमन्त्री वास्तविक कार्यपालिका है।
संसदीय सरकार में कार्यपालिका तथा विधायिका में आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। मन्त्रिमण्डल के सभी सदस्य विधानमण्डल के भी सदस्य होते हैं और वे व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप में व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होते हैं। ये सभी विद्यार्थी कार्यों को करने में व्यवस्थापिता की मदद भी करते हैं। इस तरह मन्त्रिमण्डल कार्यपालिका और व्यवस्थापिता को जोड़ने वाली प्रमुख कड़ी है।
संसदीय सरकार में कार्यपालिका का चयन व्यवस्थापिका द्वारा किया जाता है। वही व्यक्ति प्रधानमन्त्री बनता है, जिसे संसद में बहुमत प्राप्त हो।
संसदीय शासन में राज्य का मुखिया सरकार के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है। यद्यपि यह औपचारिकता मात्र ही होती है। संसद में बहुमत दल का व्यक्ति ही सरकार का अध्यक्ष बनता है।
संसदीय सरकार में प्रधानमन्त्री ही सरकार की धुरी होता है। देश का शासन चलाने की पूर्ण जिम्मेदारी उसी की होती है।
संसदीय सरकार में मन्त्रिमण्डल का गठन प्रधानमन्त्री द्वारा ही किया जाता है।