Hindi, asked by chetanparmar4414, 1 month ago

सोशल मीडिया का भारतीय संस्कृति पर क्या प्रभाव है विवेचना कीजिए​

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Answered by petkarmadhavi4
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Answer:

लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिये मीडिया को ‘‘चौथे स्तंभ’’ के रूप में जाना जाता है। 18वीं शताब्दी के बाद से, खासकर अमेरिकी स्वतंत्रता आंदोलन और फ्राँसीसी क्रांति के समय से जनता तक पहुँचने और उसे जागरूक कर सक्षम बनाने में मीडिया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मीडिया अगर सकारात्मक भूमिका अदा करें तो किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है।

वर्तमान समय में मीडिया की उपयोगिता, महत्त्व एवं भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है। कोई भी समाज, सरकार, वर्ग, संस्था, समूह व्यक्ति मीडिया की उपेक्षा कर आगे नहीं बढ़ सकता। आज के जीवन में मीडिया एक अपरिहार्य आवश्यकता बन गया है। अगर हम देखें कि समाज किसे कहते हैं तो यह तथ्य सामने आता है कि लोगों की भीड़ या असंबंद्घ मनुष्य को हम समाज नहीं कह सकते हैं। समाज का अर्थ होता है संबंधों का परस्पर ताना-बाना, जिसमें विवेकवान और विचारशील मनुष्यों वाले समुदायों का अस्तित्व होता है।

मीडिया एक समग्र तंत्र है जिसमें प्रिंटिंग प्रेस, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, रेडियों, सिनेमा, इंटरनेट आदि सूचना के माध्यम सम्मिलित होते हैं। अगर समाज में मीडिया की भूमिका की बात करें तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि समाज में मीडिया प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्या योगदान दे रहा है एवं उसके उत्तरदायित्वों के निर्वहन के दौरान समाज पर उसका क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

प्रभाव पर गौर करने पर स्पष्ट होता है कि मीडिया की समाज में शक्ति, महत्ता एवं उपयोगिकता में वृद्धि से इसके सकारात्मक प्रभावों में काफी अभिवृद्धि हुई है लेकिन साथ-साथ इसकेमीडिया की भूमिका यथार्थ सूचना प्रदायक एजेंसी के रूप में होनी चाहिये। मीडिया द्वारा समाज को संपूर्ण विश्व में होने वाली घटनाओं की जानकारी मिलती है। इसलिये मीडिया का यह प्रयास होना चाहिये कि ये जानकारियाँ यथार्थपरक हो। सूचनाओं को तोड़-मरोड़कर या दूषित कर प्रस्तुत करने का प्रयास नहीं होना चाहिये। समाज के हित एवं जानकारी के लिये सूचनाओं को यथावत एवं विशुद्ध रूप में जनता के समक्ष पेश करना चाहिये। मीडिया का प्रस्तुतीकरण ऐसा होना चाहिये जो समाज का मार्गदर्शन कर सके। खबरों और घटनाओं का प्रस्तुतीकरण इस प्रकार हो जिससे जनता का मागदर्शन हो सके। उत्तम लेख, संपादकीय, ज्ञानवर्द्घक सूचनाएँ, श्रेष्ठ मनोरंजन आदि सामग्रियों का खबरों में समावेशन होना चाहिये तभी समाज को सही दिशा प्रदान की जा सकेगी।

मीडिया समाज को अनेक प्रकार से नेतृत्व प्रदान करता है। इससे समाज की विचारधारा प्रभावित होती है। मीडिया को प्रेरक की भूमिका में भी उपस्थित होना चाहिये जिससे समाज एवं सरकारों को प्रेरणा व मार्गदर्शन प्राप्त हो। मीडिया समाज के विभिन्न वर्गों के हितों का रक्षक भी होता है। वह समाज की नीति, परंपराओं, मान्यताओं तथा सभ्यता एवं संस्कृति के प्रहरी के रूप में भी भूमिका निभाता है। पूरे विश्व में घटित विभिन्न घटनाओं की जानकारी समाज के विभिन्न वर्गों को मीडिया के माध्यम से ही मिलती है। अत: उसे सूचनाएँ निष्पक्ष रूप से सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करनी चाहिये।

मीडिया अपनी खबरों द्वारा समाज के असंतुलन एवं संतुलन में भी बड़ी भूमिका निभाता है। मीडिया अपनी भूमिका द्वारा समाज में शांति, सौहार्द, समरसता और सौजन्य की भावना विकसित कर सकता है। सामाजिक तनाव, संघर्ष, मतभेद, युद्ध एवं दंगों के समय मीडिया को बहुत ही संयमित

Answered by karanpadihar621
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Explanation:

सोशल मीडिया एवं सांस्कृतिक अस्मिता

हमारा देश प्रगति के मार्ग पर है । अब समय डिजिटल का हो गया है। आज हर काम इंटरनेट से जुड़ गया है । बहुत ही सुविधाजनक है इंटरनेट के जरिए किसी काम को घर बैठे कर लेना ।

फिर हमारा सामाजिक क्रिया-कलाप इसमें पीछे कैसे रह सकता है । सोशल मीडिया का आगमन हुआ, जो हमें देश-विदेश के लोगों से जोड़ दिया है । जैसे ट्वीटर, फेसबुक, वाट्सएप, यूट्यूब इत्यादि । हम इसके जरिए कई नए-नए लोगों से जुड़ रहे हैं और कई बिछुड़े हुए मित्र या खास व्यक्ति से भी जुड़ते जा रहे हैं । इसके माध्यम से कई अच्छे लोग और प्रतिष्ठित प्रभावशाली व्यक्तियों से हम जुड़ते जा रहे हैं । इसके माध्यम से हमें नई-नई जानकारी मिलती है । कोई संदेश देना हो तो सोशल मीडिया तीव्र गति से लाखों लोगों तक पहुंचा देती है । बच्चे क्या बड़े-बुजुर्ग भी इसमें रुचि लेने लगे हैं ।

आजकल जहाँ सोशल मीडिया बहुत ही सार्थक

लगने लगा है तो वहीं इसके दुष्परिणाम भी बहुत सामने आ रहे हैं । चूंकि सोशल मीडिया हमें देश-विदेश से जोड़ रहा है । इसलिए हमारी संस्कृति पर विदेशी प्रभाव पड़ता जा रहा है ।

खास कर बच्चे और युवा वर्ग विदेशी संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं । जिससे उनके विचार, व्यवहार, पहनावे-ओढ़ावे में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है । सोशल मीडिया पर मर्यादा विहीन शब्दों का प्रयोग ऐसे करने लगे हैं । जैसे मर्यादा का कोई महत्व ही नहीं हो ।

दोष हम केवल बच्चों या युवा को नहीं दे सकते हैं, क्योंकि कई बुजुर्ग महिला या पुरुष भी सोशल मीडिया पर मर्यादा विहीन शब्दों का प्रयोग और अजीबोगरीब लिवास में अपनी तस्वीर पोस्ट करने से नहीं चूकते ।

कई पुरुष सादगी भेष में तस्वीर रखते और महिलाओं के इनबॉक्स में अभद्रता पूर्ण शब्दों का इस्तेमाल करते हैं ।

यदि सोशल मीडिया हमें देश-विदेश से जोड़ती है तो यही हमें आसपास से दूर भी कर रही है ।

आजकल घर परिवार में भी सभी इकट्ठे बैठकर बातें कम करते हैं । सोशल मीडिया पर अधिक व्यस्त रहते हैं ।

“कहाँ जा रही है हमारी संस्कृति ?” ये विचारणीय विषय है ।

हम सब को संतुलन बना कर चलना चाहिए ।

बच्चों के लिए भी कुछ पाबंदी भी जरूरी है जिससे हम प्रगति की ओर जरूर बढ़ें किन्तु सांस्कृतिक अस्मिता की गरिमा भी बनी रहे ।

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