सोशल मीडिया का बढ़ता प्रयोग विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों के अवमूल्यन के लिए उत्तरदायी है : Debate agains the motion. IF YOU DO NOT KNOW DONT ANSWER.
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दैनिक जीवन में सोशल मीडिया का बढ़ता प्रयोग विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों के अवमूल्यन के लिए उत्तरदायी है, इस बात में कोई संदेह नहीं है। इसका कारण यह है कि सोशल मीडिया की पहुंच बेलगाम हो चुकी है। आज के वर्तमान समय में सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम बन चुका है. जिस पर कोई और मर्यादित नियंत्रण स्थापित नहीं हो पाया हैय़ सोशल मीडिया छोटी उम्र से के विद्यार्थियों से लेकर बड़ी उम्र तक के सभी विद्यार्थियों की पहुँच में आ जाता है। आजकल के बच्चे थोड़ा सा समझदार होते ही अपने माता-पिता से मोबाइल की मांग करने लगते हैं और बहुत जल्दी ही सोशल मीडिया पर एक्टिव हो जाते हैं. क्योंकि वह समय के साथ चलना चाहते हैं। उनके संग-साथी, दोस्त सब के पास मोबाइल है। सोशल मीडिया पर वह लोग सक्रिय हैं तो एक विद्यार्थी स्वयं पर दबाव महसूस करता है और वह भी उन सब से जुड़ना चाहता है।
सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा अंकुश स्थापित ना होने के कारण सोशल मीडिया पर जहां अच्छी बातें होती हैं वहां नकारात्मक और फालतू की बातें भी बहुत होती हैं। पहले सोशल मीडिया अनजान लोगों के आपस में जुड़ने और अपने विचार शेयर करने का माध्यम था, लेकिन जैसे-जैसे सोशल मीडिया लोकप्रिय होता गया तो उसमे नकारात्मकता हावी होती गयी।
कुछ समय पूर्व भारत सरकार द्वारा बैन किए गए टिक-टॉक एप का ही उदाहरण लें। वहाँ पर अनेक उल्टी-सीधी, ऊज-जुलूल हरकतों के वीडियो पोस्ट होते रहते हैं। अगर हम अपने जीवन में ऐसी हरकतें करेंगे तो हमारे अंदर गंभीरता और शालीनता कब आएगी। जीवन में मूल्यों को स्थापित करने के लिए शालीन और सभ्य बने रहना भी आवश्यक होता है। टिक टॉक एप और ऐसे ही कई तरह के सोशल मीडिया एप और वेबसाइट बेहूदा और ऊल-जुलूल हरकतें करने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे विद्यार्थियों आदि में अनुशासनहीनता और शालीनता की कमी आती है।
सोशल मीडिया आजकल केवल नफरत फैलाने, झूठी बातें फैलाने, अंधविश्वास और बेहूदा बातें फैलाने का ही माध्यम बनकर रह गया है। लोग नकारात्मक बातों को अधिक तरजीह देते हैं, जिससे आजकल के विद्यार्थियों में शुरू से ही नकारात्मकता हावी होती जा रही है।
जीवन में मूल्यों को स्थापित करने के लिये सुसंस्कृत बने रहना आवश्यक होता है, जो सोशश मीडिया पर सक्रिय रहकर संभव नही है। मूल्यों को स्थापित करने के लिये अच्छी पुस्तके पढ़ना और अच्छी संगत में रहना आवश्यक है।
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