Hindi, asked by nileemainvestments, 14 days ago

सोशल मीडिया का विद्यार्थियों पर बढ़ता प्रभाव।
(Speech)

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Answered by sarojamarnath119
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Answer:

सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव

सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावये बच्चों में खराब मानसिक विकास का भी कारण बनते जा रहा है। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग निद्रा को प्रभावित करता हैं। साइबर बुलिंग, छवि खराब होना आदि जैसे कई अन्य नकारात्मक प्रभाव भी हैं। सोशल मीडिया की वजह से युवाओं में 'गुम हो जाने का भय' (एफओएमओ) अत्यधिक बढ़ गया है।

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Answered by booksandgamingonweb
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Answer:

इन दिनों सोशल मीडिया के बढ़ते हुए चलन ने न केवल युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया है बल्कि किशोर अवस्था के विद्यार्थी भी इसके आकर्षण से दूर नहीं रह पाएl सुबह उठते ही और रात को सोने जाने से पहले तक इन वैबसाइटों को ऐक्सैस करने की आदत ने बच्चों को वास्तविक दुनिया से जैसे परे ही कर दिया हैl हर पल हाथ में लिए मोबाइल फ़ोन पर नज़रें जमाकर बैठे विद्यार्थियों को भला आत्मविश्लेषण करने का समय कब मिलेगा? कब वे अपनी पहचान के बारे में या अपने उद्देश्य के बारे में सोच सकेंगे? विद्यार्थियों में तनाव की बढ़ती हुई समस्सया का प्रमुख कारण भी, सोशल मीडिया पर उनकी बढ़ती व्यस्तता ही हैl

इए जानते हैं सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल से क्या होते हैं नुकसान:

1. याददाश्त में आती है कमी

सोशल मीडिया पर किए एक अध्‍ययन के मुताबिक सोशल मीडिया का अधिक इस्‍तेमाल याद्दाश्‍त पर विपरीत असर डालता है। ऐसे लोगों के दिमाग में महत्‍वपूर्ण जानकारी सुरक्षित नहीं रह पाती। दरअसल खाली समय में दिमाग जानकारियों को सुरक्षित करने का काम करता है। लेकिन फ्री टाइम में भी लोग ऑनलाइन गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं, जिसके चलते उनके दिमाग को आराम नहीं मिल पाता और इसका सीधा असर उनकी याद्दाश्‍त पर पड़ता है।

2. एकाग्रता होती है प्रभावित

पढ़ाई के दौरान भी बच्चों का ज़्यादातर ध्यान अपने फ़ोन पे आने वाले मैसेजज़ और नोटिफिकेशन्ज़ पर ही रहता है, जिसकी वजह से उसका ध्यान पढ़ाई पर केन्द्रित नहीं हो पाताl  फेसबुक, व्हाट्स ऐप, ट्विटर, आदि जैसी सोशल मीडिया साइट्स की वजह से होने वाली Distraction यानि व्याकुलता के कारण विद्यार्थियों की अकादमिक परफॉरमेंस में भी गिरावट आती हैl

3. आत्मसम्मान पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव

जब बच्चे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों द्वारा शेयर किए गए फोटो अथवा स्टेटस मैसेजेज देखते हैं, तो वे अपनी उपलब्धियों की तुलना अपने दोस्तों की उपलब्धियों से करने लग जाते हैंl उदाहरण के लिए, यदि एक बच्चा किसी ख़ास स्थान पर छुट्टी मनाने के लिए जाना चाहता था लेकिन किसी वजह से वहां नहीं जा पाया और उसका ही एक दोस्त उसी जगह पर ली गई अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड कर देता है तो वह बच्चा काफी निराश महसूस करने लगता हैl इसके अलावा अपनी फ़ोटो अथवा स्टेटस पर मिलने वाले लाइक्स और कमेंट्स की संख्या अपने किसी दोस्त के मुकाबले कम होने पर भी बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगता हैl क्योंकि वे इन लाइक्स और कमेंट्स को अपनी शख्सियत की अहमियत से जोड़ लेते हैंl

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