सुशर्मा कौन था ? उसने दुर्योधन का साथ क्यों दिया ?
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सुशर्मा पौराणिक हिन्दू धार्मिक महाकाव्य 'महाभारत' के अनुसार एक महान् योद्धा, जो त्रिगर्त देश का राजा था। इसका पाण्डवों से बैर था, इसीलिए इसने महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ दिया था।
त्रिगर्त देश का राजा सुशर्मा विराट नरेश के साले कीचक से कई बार अपमानित हो चुका था। जब अज्ञातवास के समय भीम ने कीचक का वध किया, तब उसकी मृत्यु का समाचार सुनकर सुशर्मा के मन में विराट से बदला लेने की बात सूझी।
सुशर्मा दुर्योधन का मित्र था। उसने दुर्योधन को सलाह दी कि यदि विराट की गाएँ ले आई जाएँ तो महाभारत युद्ध के समय दूध की आवश्यकता पूरी हो जाएगी। आप लोग तैयार रहें, मैं विराट पर आक्रमण करने जा रहा हूँ।
उसके जाते ही दुर्योधन ने भी भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा आदि के साथ विराट पर आक्रमण कर दिया।
महाराज विराट भी कीचक को याद करके रोने लगे, पर 'कंक' (युधिष्ठिर) ने उन्हें धैर्य बँधाया। सुशर्मा ने बात-ही-बात में विराट को बाँध लिया, पर इसी समय कंक ने 'वल्लभ' (भीम) को ललकारा। वल्लभ ने सुशर्मा को बाँधकर कंक के सामने उपस्थित कर दिया और विराट के बंधन खोल दिए।
पाण्डव अर्जुन के कई कट्टर प्रतिद्वंदी थे, जिनमें सुशर्मा भी एक था। उसने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन के विरुद्ध संसप्तक शक्ति का प्रयोग किया था।
महाभारत युद्ध के 11वें दिन सुशर्मा ने अर्जुन को चक्रव्यूह से दुर रखने का कार्य किया, यद्यपि वह ये जानता था कि वह अर्जुन को परास्त नहीं कर सकता। उसे ये कार्य इसलिए सौंपा गया था, क्योंकि कौरव सेनापति द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह की रचना की हुई थी और पाण्डव सेना में अर्जुन के अतिरिक्त कोई भी चक्रव्यूह भेदन नहीं जानता था।
युद्ध के 11वें दिन ही वीर सुशर्मा अपने भाइयों समेत अर्जुन द्वारा वीरगति को प्राप्त हुआ।
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