"सुषुम सेतु पर खड़ी है " इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिये ?
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ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है? उत्तर: आई सीधी राह से, गई न सीधी राह्। सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।
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