सुषुम सेतु पर खड़ी थी पंक्ति म अर्थ बताइयये
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सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह! ज़ेब टटोली कौड़ी ना पाई। माझी को दूँ, क्या उतराई ? भावार्थ :- अपनी इन पंक्तियों में कवयित्री ने मनुष्य द्वारा ईश्वर की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर कड़ा प्रहार किया है।
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सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह! ज़ेब टटोली कौड़ी ना पाई। माझी को दूँ, क्या उतराई ? भावार्थ :- अपनी इन पंक्तियों में कवयित्री ने मनुष्य द्वारा ईश्वर की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर कड़ा प्रहार किया है।
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