स्टीफन अभिक्रिया तथा रोजेनमुण्ड अपचयन समझाइए।
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स्टीफन अभिक्रिया तथा रोजेनमुण्ड अपचयन, दोनों ही ऐल्डिहाइड संश्लेषण की प्रक्रिया है।
• स्टीफन अभिक्रिया का नाम, इसके आविष्कारक, हेनरी स्टीफन पर रखा गया है।
•इस प्रक्रिया में नाइट्राइल (RCN) को टिन (II) क्लोराइड (SnCl₂ एवं हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) से अभिक्रिया करवाकर एक इमिनियम लवण (RHC=N⁺H₂) बनाया जाता है।
• लवण को पानी केे साथ ठंडा कर ऐल्डिहाइड (RCHO) प्राप्त किया जाता । इस अभिक्रिया में अमोनियम क्लोराइड (NH₄Cl) भी सह-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है ।
i) RCN + SnCl₂ + HCl → RHC=N⁺H₂ + Cl⁻
ii) RHC=N⁺H₂ + H₂O → RCHO + NH₄Cl
• रोजेनमुण्ड अपचयन भी ऐल्डिहाइड बनाने की एक प्रक्रिया है। इस अभिक्रिया का नाम भी इसके आविष्कारक, कार्ल विल्हेल्म रोजेनमुण्ड पर रखा गया है।
•इस अभिक्रिया में एक एसाइल क्लोराइड (RCOCl) को पैलेडियम (Pd) या बेरियम सल्फेट (BaSO₄) जैसे उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजनीकृत (H₂) किया जाता है।
• यह अभिक्रिया फॉर्मलडिहाइड के संश्लेषण के लिए उपयोगी नहीं है क्योंकि कमरे के तापमान पर फॉर्मिल क्लोराइड अस्थाई होता है।
• RCOCl + H₂ + Pd/BaSO₄ → RCHO + HCl