सीता जी अशोक के पड़े से क्या प्राथना करती है
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अशोक वृक्ष को हम जानते है तो सिर्फ और सिर्फ रामायण के चलते जिसमे सुंदरपर्वत पर घटित सुन्दरकाण्ड के दौरान अशोक वाटिका में सीता जी अशोक वृक्ष के निचे बैठी थी. हनुमान जी भी इसी वृक्ष की डालियो में छुप पर निश्चित समय की प्रतीक्षा कर रहे है अन्यथा हम अशोक वृक्ष को पहचानते तक नहीं.
जाने अशोक वृक्ष समेत सभी भारतीय देवीय वृक्षों की महिमा, डिप्प्रेशन की काट है अशोक वृक्ष जाने....
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अशोक वृक्ष के महत्त्व को आप उसके नाम सही समझ सकते है जिसका अर्थ है अ शोक मतलब शोक को हरने वाला, भगवान् शिव का भी एक नाम अशोक है. डिप्रेशन से ग्रसित लोगो के लिए ये वृक्ष किसी वरदान से कम नहीं है, जिस किसी को भी अवसाद ने घेर लिया हो उसे अशोक वृक्ष के निचे जाकर एक प्रार्थना करनी चाहिए.
"हे अशोक वृक्ष जैसे आपने माँ सीता का शोक हरा था वैसे ही मेरा भी शोक हर, अपने नाम के अनुरूप मुझपे कृपा कर." एक बार अवश्य कोशिश करके देखे, क्योंकि ऐसी ही प्रार्थना सीता जी ने भी रामायण में सुन्दरकाण्ड के दौरान की थी जिसके बाद हनुमान जी ने तुरंत ही राम मुद्रिका उनके आगे गिरा दी और उनका शोक हर लिया था.