Hindi, asked by kalyanimenon2009, 5 months ago

सीता का स्वयंवर का आयोजन हुआ था​

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Answered by januu519
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सरयू तट स्थित लक्ष्मण किला मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीय वर्चुअल रामलीला के तीसरे दिवस सीता स्वयंवर की लीला ने सभी का मन मोह लिया। राम व लक्ष्मण को लेकर ऋषि विश्वामित्र जनकपुर पहुंचते हैं। वह भगवान श्रीराम को जनकपुर के वैभव के बारे में बताते हैं। भगवान राम ने उनसे पूछा- जनक को विदेह क्यों कहा जाता है? इस पर विश्वामित्र उनके सवाल का जवाब देते हैं।

रामलीला के क्रम में ही महाराज जनक का प्रवेश होता है। वे विश्वामित्र के साथ राम-लक्ष्मण को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और दोनों सुकुमारों का परिचय पूछते हैं। विश्वामित्र दोनों का परिचय देते हुए कहते हैं कि- दोनों हैं पुत्र अवध नृप के, है नाम राम, लक्ष्मण इनका। यह बली गुणी उत्साही हैं, किस विधि से हो वर्णन इनका...। राजा जनक दोनों राजकुमारों को धनुष महोत्सव में लाने का निवेदन ऋषि विश्वामित्र से करते हैं।

अगले दृश्य में राम-लक्ष्मण नगर भ्रमण की इच्छा से निकलते हैं। जनकपुर के नर-नारि दोनों की छवि देखकर हर्षित हो जाते हैं। अंत में श्रीराम ऋषि विश्वामित्र की पूजा के लिए फूल लाने के लिए पुष्पवाटिका पहुंचते हैं। तभी वाटिका में स्थित माता पार्वती के मंदिर में पूजा के लिए सीता जी सखियों संग पहुंचती हैं। सखियां राम-लक्ष्मण को देखकर निहाल हो जाती हैं।

इस बीच सखियां सीता जी को लेकर आती हैं। सीता जी और राम जी की दृष्टि मिलती है, सखियां गाती हैं राम रघुराई की झरोखे झांकी की जैैैरी...। उधर राम कहते हैं कि हे लक्ष्मण बड़ा अचंभा है, सारा उपवन झंकार उठा। छा गई सरसता, कमलों में भ्रमरों का दल गुंजार उठा...। राम लक्ष्मण से कहते हैं कदाचित यह वही जनक जी की कन्या हैं जिनके लिए धनुष महोत्सव की रचना की गई है।

अगले दृृश्य में उद्घोषक सीता स्वयंवर के लिए नगर वासियों को सूचना दे रहा है। एक दूसरे दृश्य में धनुष महोत्सव के लिए दरबार सजा है। राजा जनक विराजमान हैं। फिर एक-एक कर सभी राजाओं को धनुष भंग के लिए आमंत्रित किया जाता है। स्वयंवर में रावण व बाणासुर भी पहुंचे हैं। इस बीच सीता जी सखियों सं

Answered by subbaraju2727
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