सुत कितने पैदा किए जो तृण भी नहीं थे
और वे जो पहाडों से बडे थे
किंतु तेरे मान का जब वक्त आया
पर्वतों के साथ तिनके भी लड़े थे।
यह सुमन लो, यह चमन लो,
नीड़ का तृण-तृण समर्पित
चाहता हूं, देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं ।
1 तृण से क्या आशय है।
2 कवि किसके मान की बात कर रहा है?
3. कवि की क्या आकांक्षा है?
4. इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
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Answer:
1.तृण से हमे यह आशय है कि वो हमे देश की धरती भी देगा।
2.कवि अपने मान की बात कर रहा है।
Explanation:
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