संत काव्य का दूसरा नाम क्या है?
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निर्गुण भक्तिधारा की भी दो उपशाखाएँ हैं - ज्ञानमार्गी और प्रेममार्गी। निर्गुण भक्ति काव्य की ज्ञानाश्रयी शाखा को संतकाव्य भी कहा जाता है।
संत काव्य का दूसरा नाम क्या है ?
संत काव्य का दूसरा नाम निर्गुण भक्ति काव्य की ज्ञानाश्रयी शाखा भी है।
व्याख्या :
संतकाव्य को को ज्ञानाश्रयी शाखा के नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल में भक्ति की दो धाराएं प्रवाहित हुई थीं। यह भक्ति धारा निर्गुण भक्तिधारा थी और दूसरी भक्ति धारा सगुण भक्तिधारा थी। निर्गुण भक्ति धारा में ज्ञान ज्ञानाश्रयी और प्रेमाश्रयी दो शाखाएं थीं। जबकि सगुण भक्तिधारा में कृष्णभक्ति शाखा और रामभक्ति शाखा यह दो शाखाएं थीं।
निर्गुण भक्तिधारा की ज्ञानाश्रयी शाखा को संत काव्य भी कहा जाने लगा। इस काव्य की विशेषता थी कि इसमें सभी धर्म, संप्रदाय और जातियों तथा वर्गों को समान दृष्टि से देखा जाता था। ज्ञानाश्रयी शाखा के जो भी कवि थे वे अधिकतर संत होते थे, जो समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। संत काव्य धारा के प्रमुख कवियों में गुरु नानक देव, कबीर, रैदास, दादू दयाल, मलूक दास, ललद्यद, सुंदर दास आदि के नाम प्रमुख हैं।
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