Hindi, asked by SatyaSumanth3993, 1 year ago

संत कबीर पर निबंध | Write an essay on Saint Kabir in Hindi

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Answered by kaamyaGupta
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i hope right answer
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Answered by coolthakursaini36
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                               “संत कबीर”

हिंदी साहित्य के शिरोमणि कबीरदास का नाम चोटी के कवियों में आता है। संत कबीर एक समाज सुधारक थे। उन्होंने समाज से अंधविश्वासों आडंबरों को दूर किया। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन लोगों के कल्याण के लिए ही लगा दिया। कबीरपंथी एक धार्मिक समुदाय है जो कबीर के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण करते हैं और उस पर आचरण करते हैं

कबीरदास के जन्म के संबंध में अनेक मतभेद हैं। कबीर अनुयायियों का मानना है कि कबीर का जन्म काशी में एक तालाब में कमल के सुंदर फूल के ऊपर हुआ था। तो कुछ लोगों का मानना है कि वह काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से पैदा हुए थे। जिसे वह लहरतारा ताल के पास फेंक आई थी। कुछ विद्वानों का मानना है कि कबीर का जन्म सन 1397 मैं हुआ था। जिनका पालन पोषण नीरू नाम के एक जुलाहे ने किया था। कबीर के पिता के पास इतना धन नहीं था कि वह उनको पढ़ा लिखा सकें, कबीर भी वास्तविक स्थिति जानते थे जिस कारण में किताबी विद्या प्राप्त न कर सके। संत कबीर ने कोई भी ग्रंथ स्वयं नहीं लिखे हैं वह केवल मुंह से उच्चारण किया करते थे और उनके उनको कलमबद्ध किया करते थे।

कबीर के विवाह के विषय में भी विवाद है कुछ लोगों का मानना है कि उनका विवाह एक वैरागी द्वारा पाली गई कन्या  के साथ हुआ था कबीर की दो संताने थी, जिनका नाम कमाल और कमाली था। लेकिन कबीर के अनुयाई कबीर को बाल ब्रह्मचारी और वैरागी मानते हैं इस पंथ के अनुसार कमाल उनका शिष्य था और कमाली  उनकी शिष्या थी। यही विवाद उनके धर्म पर भी है मुसलमान उनको मुसलमान मानते हैं और हिंदू उनको हिंदू मानते हैं।

संत कबीर हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के कवि हैं। उन्होंने लोक कल्याण के लिए तथा समाज में घटित तत्कालीन घटनाओं को इस तरह से प्रस्तुत किया है कि उसको सुनने के बाद हर कोई चिंतन करने पर मजबूर हो जाता है।

कबीर जी कहते हैं कि जब प्रभु की भक्ति करने के लिए बैठते हैं तो हाथ में माला लिए उसका मनका फेरते रहते हैं, उनका मानना है कि जब तक व्यक्ति का मन पूर्ण रूप से उस परमपिता परमात्मा के प्रति नहीं लग जाता तब तक उस माला के मनके को फेरने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। कबीर जी प्रकृति की शक्ति के विषय में कहते हैं कि ईश्वर द्वारा बनाए गए एक छोटे से तिनके की भी निंदा नहीं करनी चाहिए जो आपके पांव तले दबा हो यदि वह तिनका हवा से उड़कर आंख में पड़ जाए तो बहुत सख्त पीड़ा होती है। मन को सयम में रखने के विषय में कबीर जी कहते हैं कि मन की सयम से ही सब कुछ होता है यदि कोई माली पेड़ को निरंतर सौ घड़े पानी दें तब भी फल ऋतु के आने पर ही लगेगा।

कबीर दास जी का पूरा जीवन विवादास्पद रहा है उनकी क्या जाति थी? इस विषय पर चिंतन करना जरूरी नहीं हैI हमें उनके द्वारा दिखाए गए सन्मार्ग की ओर चलना चाहिए। तथा मन में इंसानियत होनी चाहिए और जो दूसरों की पीड़ा को समझे इस तरह का भाव होना चाहिए।


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