संत कबीर दास के गोविंद के कर सकते हैं
very urgent answer me fast and don't write Uncessary anst
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Answer:
you were having govind word in the question so i understood u wanted this dohe
and i too have this dohe in my hindi textbook
and i have written it for you :)
गुरु – गोविंद दोऊ खड़े , काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने , जिन गोविंद दियो मिलाय। ।
निहित शब्द – गोविन्द – भगवान , दोउ – दोनों , काके – किसके , बलिहारी – न्यौछावर , जिन – मुझे।
व्याख्या –
कबीरदास गुरु को अधिक महत्व देते हैं। वह गुरु को ईश्वर से भी बड़ा मानते हैं। उनका मत है कि ईश्वर का दर्शन गुरु के माध्यम से ही हो सकता है। गुरु ही गुरु और गोविंद अर्थात शिक्षक और भगवान में अंतर करा सकता है बता सकता है। अर्थात एक मानव को भगवान की पूजा से पूर्व अपने गुरु की पूजा करनी चाहिए। एक मां बच्चे की प्रथम गुरू होती है मां ही बच्चे को उसके पिता और अन्य लोगों का परिचय कराती है।
यह कबीर के दोहे जीवन में बदलाव लाने के लिए उपयोगी है |
hope it helps!
plz mark me as brainliest!
Explanation: