संतुलित विकास से क्या तात्पर्य है इस संबंध में हर्ष मन के विचारों का उल्लेख
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कम विकसित देशों की अपर्याप्त बाजार संरचना को सुधारने के लिए सन्तुलित वृद्धि का सिद्धान्त अर्थव्यवस्था के अधिक से अधिक क्षेत्रों में सम्भव, एक साथ होने वाले विनियोग को प्रस्तावित करता है जिससे एक उद्योग दूसरे के लिए एक बाजार एवं पूर्ति के स्रोत को उत्पन्न करें । यह सिद्धान्त सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में पूंजी के प्रसार के वृहद फैलाव को विकास की प्रक्रिया हेतु पूर्व आवश्यकता मानकर चलता है ।
सन्तुलित वृद्धि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की समन्वित वृद्धि है । सन्तुलित वृद्धि का एक कार्यक्रम उत्पादन प्रक्रियाओं की पूरकताओं को अर्न्त-उद्योग सम्बन्धों की प्रणाली के द्वारा ध्यान में रखता है । इस प्रकार के कार्यक्रम सामान्यत: समाज में आर्थिक क्रियाओं हेतु राज्य द्वारा हस्तक्षेप की अपेक्षा रखता है ।
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