Hindi, asked by sks8061, 1 year ago

संत मीराबाई के पद और उनके अर्थ ​

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Answered by isnam25
1

मनमोहन कान्हा विनती करूं दिन रैन

राह तके मेरे नैन

अब तो दरस देदो कुञ्ज बिहारी

मनवा हैं बैचेन

नेह की डोरी तुम संग जोरी

हमसे तो नहीं जावेगी तोड़ी

हे मुरली धर कृष्ण मुरारी

तनिक ना आवे चैन

राह तके मेरे नैन ……..

मै म्हारों सुपनमा

लिसतें तो मै म्हारों सुपनमा

अर्थ:

मीरा अपने भजन में भगवान् कृष्ण से विनती कर रही हैं कि हे कृष्ण ! मैं दिन रात तुम्हारी राह देख रही हूँ. मेरी आँखे तुम्हे देखने के लिए बैचेन हैं मेरे मन को भी तुम्हारे दर्शन की ही ललक हैं.मैंने अपने नैन केवल तुम से मिलाये हैं अब ये मिलन टूट नहीं पायेगा. तुम आकर दर्शन दे जाओं तब ही मिलेगा मुझे चैन.

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मीरा के पद दोहे

मतवारो बादल आयें रे

हरी को संदेसों कछु न लायें रे

दादुर मोर पापीहा बोले

कोएल सबद सुनावे रे

काली अंधियारी बिजली चमके

बिरहिना अती दर्पाये रे

मन रे परसी हरी के चरण

लिसतें तो मन रे परसी हरी के चरण

अर्थ

बादल गरज गरज कर आ रहे हैं लेकिन हरी का कोई संदेशा नहीं लाये. वर्षा ऋतू में मौर ने भी पंख फैला लिए हैं और कोयल भी मधुर आवाज में गा रही हैं.और काले बदलो की अंधियारी में बिजली की आवाज से कलेजा रोने को हैं. विरह की आग को बढ़ा रहा हैं. मन बस हरी के दर्शन का प्यासा हैं.

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मीरा के पद दोहे

मै म्हारो सुपनमा पर्नारे दीनानाथ

छप्पन कोटा जाना पधराया दूल्हो श्री बृजनाथ

सुपनमा तोरण बंध्या री सुपनमा गया हाथ

सुपनमा म्हारे परण गया पाया अचल सुहाग

मीरा रो गिरीधर नी प्यारी पूरब जनम रो हाड

मतवारो बादल आयो रे

लिसतें तो मतवारो बादल आयो रे

मीरा के पद दोहे हिंदी अर्थ

मीरा कहती हैं कि उनके सपने में श्री कृष्ण दुल्हे राजा बनकर पधारे. सपने में तोरण बंधा था जिसे हाथो से तोड़ा दीनानाथ ने.सपने में मीरा ने कृष्ण के पैर छुये और सुहागन बनी.

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मीरा के पद दोहे

मन रे परसी हरी के चरण

सुभाग शीतल कमल कोमल

त्रिविध ज्वालाहरण

जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण

जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण

जिन चरण प्रभु परसी लीन्हे करी गौतम करण

जिन चरण फनी नाग नाथ्यो गोप लीला करण

जिन चरण गोबर्धन धर्यो गर्व माधव हरण

दासी मीरा लाल गिरीधर आगम तारण तारण

मीरा मगन भाई

लिसतें तो मीरा मगनभाई

मीरा के पद दोहे हिंदी अर्थ

मीरा का मन सदैव कृष्ण के चरणों में लीन हैं.ऐसे कृष्ण जिनका मन शीतल हैं. जिनके चरणों में ध्रुव हैं. जिनके चरणों में पूरा ब्रह्माण हैं पृथ्वी हैं. जिनके चरणों में शेष नाग हैं. जिन्होंने गोबर धन को उठ लिया था. ये दासी मीरा का मन उसी हरी के चरणों, उनकी लीलाओं में लगा हुआ हैं.

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मीरा के पद दोहे

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ..

वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु किरपा करि अपनायो. पायो जी मैंने…

जनम जनम की पूंजी पाई जग में सभी खोवायो. पायो जी मैंने…

खरचै न खूटै चोर न लूटै दिन दिन बढ़त सवायो. पायो जी मैंने…

सत की नाव खेवटिया सतगुरु भवसागर तर आयो. पायो जी मैंने…

मीरा के प्रभु गिरिधर नागर हरष हरष जस गायो. पायो जी मैंने…

मीरा के पद दोहे हिंदी अर्थ

मीरा ने रान नाम का एक अलोकिक धन प्राप्त कर लिया हैं. जिसे उसके गुरु रविदास जी ने दिया हैं.इस एक नाम को पाकर उसने कई जन्मो का धन एवम सभी का प्रेम पा लिया हैं.यह धन ना खर्चे से कम होता हैं और ना ही चोरी होता हैं यह धन तो दिन रात बढ़ता ही जा रहा हैं. यह ऐसा धन हैं जो मोक्ष का मार्ग दिखता हैं. इस नाम को अर्थात श्री कृष्ण को पाकर मीरा ने ख़ुशी – ख़ुशी से उनका गुणगान गाया.

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मीरा के पद दोहे

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई|

जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई||

मीरा के पद दोहे हिंदी अर्थ

मीरा कहती हैं – मेरे तो बस श्री कृष्ण हैं जिसने पर्वत को ऊँगली पर उठाकर गिरधर नाम पाया. उसके अलावा मैं किसी को अपना नहीं मानती. जिसके सिर पर मौर का पंख का मुकुट हैं वही हैं मेरे पति.

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मीरा के पद दोहे

तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई|

छाड़ि दई कुलकि कानि कहा करिहै कोई||

मीरा के पद दोहे हिंदी अर्थ

मेरे ना पिता हैं, ना माता, ना ही कोई भाई पर मेरे हैं

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