World Languages, asked by soham584, 6 months ago


संत
नसते तर
2
संताची परंपरा
समाज्याला भक्ती माणि शिकवण
अंधश्रध्दा दुर
करण्याचा
प्रर्यन्त
अमवा औवी शलोक भारुडयाचे लेखन
समाज जागुरुती करण्याचे कारण
जनसेवा हीच ईश्वर सेवा' हा संदेश
चांगला समाज घडवीण्याचे हे झाले नसते.


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Answers

Answered by vijayababu3399
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Answer:

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Explanation:

आष्टा | सर्वप्रथममानव सेवा ही ईश्वर सेवा के समान है। इसलिए दुखी व्यक्ति की मदद करें, इससे बड़ा दूसरा कोई कार्य नहीं होता है। वहीं जो भी काम हो उसे समय पर पूरा करना चाहिए। इससे काम सफल होते हैं।

यह बातें शासकीय उत्कृष्ट उमावि द्वारा गांव शोभाखेड़ी में एनएसएस के सात दिवसीय शिविर के समापन पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विकासखंड शिक्षा अधिकारी डॉ. ओपी दुबे ने कहीं। उन्होंने छात्रों को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि सुबह जल्दी उठकर जो भी कार्य हो उसे समय पर पूरा करें। शिविर में सभी छात्रों ने जो मानव सेवा की है वह ईश्वर सेवा के समान है। दिनेश कुमार शर्मा ने छात्रों को बताया कि स्वास्थ्य शरीर में ही स्वास्थ्य मन का वास होता है। उन्होंने स्वच्छता का संदेश सभी गांवों में देने के लिए भी प्रेरित किया।

सांस्कृतिककार्यक्रमों की दी प्रस्तुति : शिविरमें स्वयं सेवकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति दी। छात्र अनिल कुमार रतन मेवाड़ा ने सद्भावना पर कविता अंधविश्वास पर शुभम चंद्रवंशी ने कविता प्रस्तुत की। वहीं प्रवीण पांचोली ने भजन लोकेंद्र दवारिया ने मालवी लोक गीत प्रस्तुत किए। इस मौके पर दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई नाटक अनिल, कुलदीप, रतन, सुनील, जैनपाल मेवाड़ा ने प्रस्तुत की। वहीं वृक्ष बचाओं जीवन बचाओं नाटक की भी प्रस्तुति दी। इसके अलावा अन्य कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी ज्ञान सिंह पचलासिया, एनएस ठाकुर, महेंद्र बाथम, राकेश पंवार, डीएस मांडवा, मुकुंद बरोडिय़ा, एचआर बैदी, जोश समुअल, सीमा जैन, विष्णु पंवार, सितवत खान, नगमा खान, अर्जुन थे।

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