स्त्री भ्रूहत्या संवाद लेखन in Marathi
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प्रश्न – संवाद किसे कहते हैं ?
उत्तर – दो या दो से अधिक लोगों के बीच होने वाले वार्तालाप को संवाद कहते हैं।
प्रश्न – संवाद लेखन किसे कहते हैं ?
उत्तर – जब दो या दो से अधिक लोगों के बीच होने वाले वार्तालाप को लिखा जाता है तब वह संवाद लेखन कहलाता है। संवाद लेखन काल्पनिक भी हो सकता है और किसी वार्ता को ज्यों का त्यों लिखकर भी।
प्रश्न – संवाद लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर – संवाद लिखते समय मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
संवाद सरल भाषा शैली में लिखे जाने चाहिएं।
संवाद बोलने वाले का नाम संवादों के आगे लिखा होना चाहिए।
संवाद एक दूसरे से जुड़े होने चाहिएं।
संवाद न अधिक लम्बे होने चाहिए और न ही अधिक छोटे।
संवाद पात्रों की भाषा शैली पर आधारित होने चाहिएं। जैसे – डॉक्टर, बच्चे और सब्जीवाले की भाषा में अंतर होता है।
यदि संवादों के बीच कोई चित्र बदलता है या किसी नए व्यक्ति का आगमन होता है तो उसका वर्णन कोष्टक में करना चाहिए।
संवाद बोलते समय जो भाव वक्ता के चेहरे पर हैं उन्हें भी कोष्टक में लिखना चाहिए।
यदि संवाद बहुत लम्बे चलते हैं और बीच में जगह बदलती हैं तो उसे दृश्य एक, दृश्य दो करके बांटना चाहिए।
संवाद लेखन के अंत में वार्ता पूरी हो जानी चाहिए।
प्रश्न – संवाद लेखन का के महत्त्व है ?
उत्तर – फ़िल्म से लेकर नुक्कड़ नाटक तक सभी संवाद लेखन पर निर्भर हैं। संवादों के आभाव में किसी फ़िल्म या नाटक की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
संवाद लेखन का एक उदाहरण देखिए –
कामेडी विद आज का नेता
(नेता एक मेज के ऊपर चड़ा हुआ है और उसका साथ देने के लिए नीचे कुछ लोग खड़े हैं)
कथावाचक –
दोस्तों ये हैं नेता,, नहीं-नहीं आप लोगों को गलतफहमी हो गई है. आप लोग भी चकमा खा गए ना, मैं भी इन्हें देखकर चकमा खा गया था. ये हैं नौटंकी नेता. नहीं समझे… मैं समझाता हूँ. दोस्तों हुआ यूं कि ये बेचारे एम. एल. ए. बनाना चाहते थे पर क्या करें किसी ने इन्हें वोट ही नहीं दिया. और ये बेचारे इलेक्शन हार गए. पर इन्होंने हार नहीं मानी है इसलिए इन्होंने अपनी खुद की पार्टी बनाई है जिसका नाम है ख़ास आदमी पार्टी. इन्हें लगता है कि अरविन्द केजरीवाल की तरह ये भी एक दिन आम लोगों के दिल में जगह बना पाएंगे और इलेक्शन जीत जाएंगें. सीधी बात कहूं तो ये नकलची बन्दर हैं. देश में बढ़ रहे आलू और प्याज की कीमतों को लेकर इन्होंने यह आन्दोलन छेड़ा है। ये कहते हैं कि जब तक दाल और प्याज के दाम कम नहीं होंगे ये इस मेज से नीचे नहीं उतरेंगे। तो आइये दोस्तों लेते हैं मजा इस हास्य नाटक का, तो प्रस्तुत है ‘कामेडी विद नेता’